‘रीस’ में दिखेगा नया राजस्थान कहते हैं ‘पंकज सिंह तंवर’
फिल्म निर्देशक पंकज सिंह तंवर राजस्थान, जोधपुर के रहने वाले हैं। राजस्थानी सिनेमा के लिए पिछले कुछ सालों में ढेरों काम कर चुके हैं। राजस्थान के क्षेत्रीय ओटीटी प्लेटफॉर्म स्टेज पर वेब सीरीज ‘सरपंच’ बनाकर, राजस्थान के सिनेमाई इतिहास को पहली राजस्थानी वेब सीरीज दे चुके हैं। इस चर्चित वेब सीरीज के अलावा स्टेज की कई फिल्मों और सीरीज को हरियाणवी से राजस्थानी में भी ढालने का काम किया है। वेब सीरीज ‘नुचवाना’ में अपनी अभिनय कला से भी दर्शकों को परिचित करवाया। बतौर निर्देशक ‘नानी सा’, ‘शुभ रात्री’ फिल्मों के साथ-साथ ‘सांवली सूरत’, ‘उड़े रे गुलाल’ जैसे गानों और ‘केक’, ‘पिता’ जैसी शॉर्ट फिल्मों में भी बतौर निर्देशक हाथ आजमाया है। नए साल की शुरुआत में पंकज एक नई वेब सीरीज ‘रीस’ लेकर आ रहे हैं। वे कहते हैं ‘रीस’ में दिखेगा नया राजस्थान। पंकज सिंह तंवर के साथ हुई अंतरंग बातचीत के अंश लेकर आये हैं आपके लिए सिर्फ और सिर्फ गंगानगर वाला –
स्टेज के लिए पहले सरपंच वेब सीरीज की और अब रीस इसके अलावा कई लोगों को लगातार काम करते हुए देखकर लगता है कि कुछ काम होने लगा है राजस्थानी सिनेमा में। इसके अलावा कुछ लोग हैं जो यहाँ के सिनेमा में एक चलायमान ढर्रे को पकड़ने के बजाए कुछ नया करने की कोशिश कर रहे हैं। मैं खुद भी उनसे बहुत कुछ सीख रहा हूँ और पर्यवेक्षण कर रहा हूँ। अभी भी बहुत कुछ करना-सीखना बाकी है, उम्मीद है इसी प्रयास में अपनी एक अलग और मज़बूत जगह बना सकूंगा राजस्थानी सिनेमा में।
सिनेमा में बतौर निर्देशक अपने अब तक के अनुभवों को याद करते हुए पंकज सिंह तंवर कहते हैं- अभी तक का अनुभव शानदार रहा है, बहुत सारी प्रतिभाओं को जानने का मौका मिला। कई बार हैरानी भी हुई उनकी प्रतिभाओं को देखकर तो दूसरी तरफ़ बहुत से ऐसे भी मिले जो पता नहीं क्यों, पर सिनेमा में है। निर्देशक के तौर पर कई सारी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता रहा है। फ़िलहाल जिस माहौल में और जिन बजट पर हम राजस्थानी काम कर रहे हैं बतौर निर्देशक ये काफ़ी चैलेंजिंग हो जाता है कि एक अच्छा सिनेमा दर्शकों के सामने कोई लेकर आये। इन सब में भी मैं भाग्यशाली रहा कि मुझे ऐसी टीम मिली, जो इस चैलेंज को हमेशा अच्छे से निभा लेती है। लेकिन इसी बीच कुछ ऐसे भी मौके आये जिनके बारे में बात करते हुए पंकज कहते हैं कि- मैं उन कलाकारों से बहुत परेशान हुआ हूँ जिन्हें शायद कमिटमेंट का अर्थ नहीं पता। शूटिंग वाले दिन मना कर देना, जवाब नहीं देना इस तरह के भी कई लोगों से साबका पड़ा। ऐसे लोग हर कहीं मिल जाते हैं आजकल जिनकी वजह से जाने कितने लोग मानसिक और आर्थिक दोनों तरह से परेशानी उठाते हैं। इस तरह दूसरों का समय जाया करने वाले लोगों ख़ास करके सिनेमा के क्षेत्र में ऐसे अव्यवहारिक, तथाकथित कलाकारों को हमेशा के लिए बैन कर देना चाहिए ।
राजस्थान का एक पढ़ने लिखने वाला परिवार और उन सब इंजीनियर के बीच ‘पंकज सिंह तंवर’ फिल्मी दुनिया में आए लेकिन उन्हें घर वालों का हमेशा सहयोग मिला। करियर को लेकर बाते भी होती रहीं लेकिन वे बताते हैं कि- उनके परिवार वाले आज भी हर तरह से उन्हें सहयोग करते हैं। माँ-बाबा ने कभी आलोचना की तो उतना ही सहारा भी दिया, पिता का पूरा सहयोग मिला। छोटे भाई का हमेशा मेरे काम में पूरी दिलचस्पी रखना कि क्या सही है? क्या नहीं इन सबके साथ मेरी वाइफ का हर तरह से सहयोग रहा, सारी जिम्मेदारियां उसने ले रखी है ताकि मैं अपने इस पैशन को लगातार जी सकूं, उनकी राय मुझे इस क्षेत्र में सबसे ज़्यादा मज़बूती देती है। कई दफ़ा ऐसे भी पल आये जब लगा अब और नहीं कर पाऊँगा तो परिवार ने मज़बूती से सहारा दिया लिहाजा आज यहाँ तक पहुँच कर, लगातार काम कर पा रहा हूँ। यही सपोर्ट मुझे मेरे ससुराल की तरफ़ से भी मिला, मेरी मदर इन लॉ को मुझ पर बहुत ज़्यादा भरोसा है और मेरे हर काम को लेकर वे उत्साहित रहती है। कुलमिलाकर मेरी स्ट्रेंथ ही मेरा परिवार है जिसकी वजह से इस फ़िल्मी दुनिया में चल पा रहा हूँ।
स्टेज एप्प पर राजस्थानी भाषा में नए साल के अंत तक ‘पंकज सिंह तंवर’ की वेब सीरीज ‘रीस’ रिलीज होने वाली है। ‘रीस’ के बारे में बताते हुए वे कहते हैं- ‘रीस’ एक थ्रिलर मर्डर मिस्ट्री है जो अलग-अलग परतों से होती हुई आगे बढ़ती है। इस बार भी पुलिस एक बहुत अहम हिस्सा है कहानी का। शूट भी बहुत इंट्रेस्टिंग रहा, मेहनत भी बहुत लगी इसे करने में लेकिन मेरी पूरी टीम ने ज़बरदस्त साथ दिया। मुख्य कलाकारों में एक बार फिर से ‘सरपंच’ वेब सीरीज के कुछ कलाकार देखने को मिलेंगे। नेमीचंद, शैलेंद्र व्यास, जीतेन्द्र सिंह राजपुरोहित, अविनाश कुमार, भरत वैष्णव के साथ-साथ प्रियंका दवे, निर्मल चिरानिया आदि कुछ नये राजस्थान के कलाकार दर्शकों को देखने के लिए मिलेंगे। रीस को इस बार भी मैंने और हैदर अली ने मिल कर लिखा है। डी.ओ.पी आयुष श्रीवास्तव है।
पंकज सिंह तंवर निर्देशित शॉर्ट फिल्म ‘केक’ देखने के लिए यूट्यूब के इस लिंक पर क्लिक करें।
बताते चलें कि इस वेब सीरीज ‘रीस’ की शूटिंग ब्यावर से 40 किलोमीटर दूर जस्साखेड़ा और उसके आस-पास के गाँव में की गई है। इस सीरीज में दर्शकों को एक नया राजस्थान देखने को मिलेगा। राजस्थान के सिनेमा को हाल के समय में बल मिल रहा है। कारण समझदार लोग कमान सम्भाल रहे हैं। पंकज स्टेज एप्प की तारीफ़ करते हुए कहते हैं कि अब स्टेज उस दिशा में अग्रसर है जो राजस्थानी सिनेमा की दिशा बदलने का माद्दा रखता है । वे ऐसा इसलिए नहीं कहते मुझे दो-दो सीरीज करने के लिए मिली बल्कि वे मानते हैं कि स्टेज दिन-ब-दिन अपने कंटेंट और उसके प्रोसेस को डेवलप कर रहा है। कंटेंट के अप्रूवल से लेकर रिलीज़ तक स्टेज की तारीफ़ करना भी वे नहीं भूलते।
एक्टिंग के साथ-साथ निर्देशन भी में हाथ आजमाने वाले पंकज सिंह तंवर यूँ तो दोनों क्षेत्रों में स्वयं को सहज पाते हैं लेकिन उनका एक्टिंग से ज़्यादा मन डायरेक्शन में ही लगता है। एक्टिंग और डायरेक्शन दोनों में से किसी एक को चुनना पड़ा तो पंकज डायरेक्शन को चुनना पसंद करते हैं। ऐसी कोई राजस्थानी फिल्म या सीरीज जिसे आपको बनाने का मौका मिलता तो बतौर निर्देशक आप उसे कैसे बनाते? सवाल के जवाब में वे कहते हैं- मुझे ‘सरपंच’ बनने का मौक़ा मिला और मैंने पूरी कोशिश की उसे अच्छा बनाने में। अब वही कोशिश ‘रीस’ में की है। जो चीज़ बन चुकी उसे वापस मैं नहीं बनाना चाहता। सभी लोग अपनी-अपनी समझ के हिसाब से कंटेंट बना रहे हैं। दिल का कहूँ तो मेरी बहुत ज़्यादा इच्छा है राजस्थान के लिए कुछ लार्जर देन लाइफ बना पाऊं, फुल कमर्शियल के.जी.एफ़, करण-अर्जुन जैसा। जिसे देख कर तालियाँ और सीटियाँ बज उठे। ईश्वर ने मौका दिया तो अवश्य यह भी पूरा होगा। किसी एक फिल्म को बनाने का मौका मिलता तो वे ‘थार’ फिल्म को बनाना चाहेंगे। बकौल पंकज सिंह तंवर बता दें कि ‘थार’ राजस्थानी फ़िल्म नहीं है, परन्तु राजस्थान का बहुत बुरा रिप्रेजेंटेशन और जैसा राजस्थान उसमें दिखाया गया है वो शायद नहीं होना चाहिए था।
किसी भी फिल्म या सीरीज को लिखते समय पंकज सबसे ज़रूरी कैनवास को ध्यान में रखते हैं साथ ही जो बजट मिल रहा उसमें फिट है कि नहीं यह देखते हैं। उनके मुताबिक़ एक बार कैनवास बजट में फिट हो जाए तो फिर कहानी पर वे पूरा ज़ोर लगा देते हैं ताकि ट्रीटमेंट बेहतर से बेहतर बने। किरदारों को बहुत समझ के लिखने की कोशिश करते है। इसके साथ ही वे कमर्शियल और एंटरटेनमेंट एंगल कभी दरकिनार नहीं करते वजह आखिर में दर्शकों का मनोरंजन करना ही उनका लक्ष्य है। अपनी किसी भी फिल्म या सीरीज की स्क्रिप्ट को प्रोडक्शन स्टेज में ले जाने से पहले स्ट्रॉंग क्रू सुनिश्चित करते हैं ताकि कहानी को उसी ट्रीटमेंट के साथ पर्दे पर उतार सकें। वे अपने काम की मेकिंग पर भी काम काफी तेजी से करते हैं, जिससे बजट में आसानी से तालमेल बैठा पाते हैं।
सिनेमा में किससे सीखने को मिला? किसका ज्यादातर पसंद काम देखना पसंद करते हैं? सवाल के जवाब में पंकज सिंह तंवर कहते हैं- मेरी लर्निंग पूरी तरीक़े से जो भी सिनेमा मेरे सामने है उसी से है। पूरे तरीक़े से मसाला फ़िल्मों में रचे-बसे पंकज करण-अर्जुन अनगिनत बार देख चुके हैं जब भी समय लगता है तो आज भी देखते हुए इमोशनल हो उठते हैं। सिनेमा की लर्निंग भी वे ऐसे ही अपने सामने चलती हुई पाते हैं। हर निर्देशक अपना 200 प्रतिशत अपने काम में लगाते ही हैं। अपने काम के फ्रेम में वो अपनी टीम का पूरा एफर्ट भी चाहता है। हरेक फ्रेम बहुत कुछ सिखाता है जिसमें सीन की ब्लॉकिंग कैसे है? कैमरा प्लेसमेंट्स क्या है? प्रोडक्शन डिज़ाइन क्या हुआ है? बैकग्राउंड आर्टिस्ट्स कैसे यूज़ किए गए है? बी.जी.एम कैसे यूज़ हुआ है? इत्यादि ऐसी बहुत सारी बातें आपको ऑब्ज़र्व करने को मिलती है वो भी सिर्फ़ एक फ्रेम से। इसके अलावा पंकज को सभी निर्देशक को सुनना भी बहुत पसंद है जिससे वे समझ पाते हैं कि कैसे वो अपने प्रोजैक्ट्स को प्रोसेस करते हैं? क्या उनकी थिंकिंग रहती है? यूट्यूब पर उपलब्ध काम को देखते हुए अपने काम में उन्हें काफी मदद मिलती है। डेविड धवन,राजकुमार हिरानी आदि के इंटरव्यू ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया। इन सबके अलावा पंकज सिनेमा से जुड़ी किताबें भी पढ़ते हैं।
बतौर निर्देशक के आने वाले प्रोजैक्ट्स में ‘रीस’ मुख्य रूप से लाइन अप है। इसके अलावा एक और फ़िल्म भी जल्दी ही फ़्लोर पर जाएगी उसके लिए अभी स्क्रिप्टिंग कर रहा हूँ। एक अन्य ओटीटी के साथ वेब सीरीज की बात चल रही है। इसके अलावा एक्टर के तौर पर ‘अलबेली’ नाम से हिंदी फ़िल्म आने वाली है जिसमें मैं एक पुलिस के नेगेटिव किरदार में नज़र आऊँगा, इसके अलावा भी कई काम अभी उनके पास पाइप लाइन में हैं।
पंकज सिंह तंवर निर्देशित शॉर्ट फिल्म ‘पिता’ देखने के लिए यूट्यूब के इस लिंक पर क्लिक करें।
अपनी ‘सरपंच’ वेब सीरीज की सफलता के बाद जल्द आने वाली वेब सीरीज ‘रीस’ को लेकर भी पंकज सिंह तंवर खासे उत्साहित नजर आते हैं। साथ ही ‘सरपंच’ वेब सीरीज की सफलता ने उनके लिए कई ज़िम्मेदारियाँ भी बतौर निर्देशक बढ़ाई हैं। ‘रीस’ वेब सीरीज के माध्यम से वे एक बार फिर से कुछ अच्छा कंटेंट दर्शकों को देना अपनी प्रतिबद्धता मानते हैं। इन सबके बीच उन्होंने सफलता और असफलता का कोई दबाव कभी महसूस नहीं किया। ‘सरपंच’ वेब सीरीज के दूसरे सीजन को लेकर हुई बात के बारे में पंकज बताते हैं कि- बहुत से लोग पूछते रहते हैं इसके दूसरे सीजन को लेकर, लेकिन कब आयेगा यह तो पूरी तरह से स्टेज एप्प पर ही निर्भर करता है। हम इसके दूसरे सीजन की कहानी भी पूरी तरह से तैयार कर चुके हैं। लिहाजा रुद्र प्रताप ने इंस्पेक्टर मदन को क्या तोहफ़ा भेजा होगा यह जानने के लिए दर्शकों को इन्तजार करना होगा।
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