इंटरव्यू

जा ‘संदीप शर्मा’ जी ले अपने सपने- राष्ट्रीय फ़िल्म पुरूस्कार प्राप्त इस निर्देशक को ऐसा किसने कहा

जा ‘संदीप शर्मा’ जी ले अपने सपने- किसने कहा ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरूस्कार’ प्राप्त इस निर्देशक को ऐसा। जानिये आज के हमारे इस बातचीत यानी इंटरव्यू सेशन में हरियाणवी सिनेमा को नैशनल अवार्ड से सजाने वाले अभिनेता, रंगकर्मी, निर्देशक और उससे भी बढ़कर एक किसान की जुबानी गंगानगर वाला पर। 

संदीप शर्मा हरियाणा के एक छोटे से शहर जींद में जन्में और वहीं इनकी स्कूली शिक्षा सरकारी स्कूल जींद से शुरू हुई। स्कूली शिक्षा के बाद संदीप ने इंडियन थियेटर में मास्टर्स की डिग्री पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से हासिल की। पढ़ाई के साथ-साथ ग्रेजुएशन के दौरान ही संदीप खेती-बाड़ी में भी हाथ बंटाने लगे और आज तक वे हरियाणवी सिनेमा में कई काम बतौर अभिनेता कर चुकने और अपनी फ़िल्म ‘सतरंगी’ के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरूस्कार पाने के बाद भी जमीन से जुड़ कर हरियाणा में ही खेती-बाड़ी भी कर रहे हैं।

संदीप की एक्टर बनने की इच्छा बचपन से ही थी। उनके जीवन में ऐसा कुछ नहीं हुआ कि वे अचानक अभिनय में उतर आये हों। उनके बचपन का शौक पुलिस इंस्पेक्टर या आर्मी ऑफिसर या फिर एक्टर बनने का ही रहा इसके साथ ही अंतिम रूप से खेती-बाड़ी करने की इच्छा भी उन्होंने बचपन से ही पाल ली थी। स्कूली जीवन में और इसके इतर भी संदीप क्रिकेट खेल की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेते रहे। वे बताते हैं कि मैं पढ़ाई में कभी अच्छा नहीं रहा लिहाजा पुलिस और आर्मी का ख्वाब छोड़ना पड़ा। इसके साथ ही बॉम्बे जाकर एक्टर बनने का उनका ख्वाब तो था पर वे कहते हैं कि इसके बारे में भी मुझे कुछ विशेष नहीं मालूम था कि वहाँ काम कैसे मिलेगा? घर के बड़ों के डर ने उन्हें चुपचाप खेती की ओर मोड़ दिया। इस तरह उनके बचपन में देखे गए कई ख़्वाबों में से एक खेती-बाड़ी का सपना तो पूरा हुआ ही साथ ही क्षेत्रीय सिनेमा में अभिनय करने का भी। खेतों के साथ-साथ अपने पशुओं में रमते हुए जिंदगी का स्वाद चखते हुए वे कब राष्ट्रीय फ़िल्म पुरूस्कार से सम्मानित भी हो गये यह भी उनके जीवन का रोचक पहलू है।

जा ‘संदीप शर्मा’ जी ले अपने सपने- किसने कहा ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरूस्कार’ प्राप्त इस निर्देशक को
जा ‘संदीप शर्मा’ जी ले अपने सपने- किसने कहा ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरूस्कार’ प्राप्त इस निर्देशक को

संदीप शर्मा बातचीत में एक सवाल के दौरान बताते हैं कि- दसवीं की पढ़ाई के बाद मैंने शहर की सबसे बड़ी, स्कूल वाली ‘सनातन धर्म रामलीला’ में भाग लिया। जिसमे मैं राम का और छोटा भाई अरविंद, जो अब दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर हैं लक्ष्मण का रोल किया करते थे। खेती करते-करते इंडियन थियेटर का उन्होंने पता लगाया जहाँ जाकर उन्हें मास्टर्स की डिग्री हासिल हुई। वे कहते हैं कि- मेरे सीनियर, बड़े भाई पदमश्री महावीर गुड्डू जी की मदद से मैंने इंडियन थियेटर का फॉर्म मंगवाया। लेकिन रामलीला करते-करते संदीप के घर में भी इस बात को लेकर रामलीला शुरू हुई कि उन्हें चंडीगढ़ जाना है या नहीं। किसी तरह मास्टर्स में दाखिला लेने के बाद जब मास्टर्स पूरी हुई तो वे पूरा मन बन चुके थे कि अब तो बॉम्बे (मुंबई) जाना ही जाना है। बड़े भाई साहब सुनील की नाराजगी के इतर संदीप के पिता ने बड़े भाई को हिम्मत दी और संदीप को हौंसला की जा अपने सपनों को जी ले।

यह भी पढ़ें- राजू हिरानी सफल फिल्मकार हैं

संदीप शर्मा बातचीत के दौरान भावुक होते हुए बताते हैं कि- वो दिन और आज का दिन परमात्मा की कृपा से पिता जी और बड़ों के आशीर्वाद से कभी मुंबई छोड़ने का मन नहीं हुआ। ठीक है अभी मैं वापस खेती कर रहा हूं पर साथ-साथ अभी भी मुंबई में काम कर रहा हूं और हरियाणा में भी एक्टिंग और डायरेक्शन का काम चल ही रहा है। कुछ इस तरह संदीप का एक्टर बनने का सपना साकार हुआ।

संदीप शर्मा बताते हैं कि- अभिनय की शुरुआत तो रामलीला से हुई फिर कॉलेज में यूथ फेस्टिवल में हिस्सा लेना, फिर मास्टर्स थियेटर में, फिर धरमवीर भारती का ‘अंधा युग’, मोलियर का ‘नीम हकीम’ नाटक भी किए। अभी 2022 में मनीष जोशी के साथ भी ‘दास्तानें’ अंबाला में किया। जिसमें उन्हें मुख्य भूमिका में बाबा मोहर सिंह के किरदार को निभाने का मौका मिला।

यह भी पढ़ें- काला कलिकारन एक क्रांतिकारी फ़िल्म है

जैसे ‘पूत के पांव’ पालने में दिख जाते हैं वैसे ही जब संदीप शर्मा अपने गुरु रवि राय जी के पास गये फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर बनने के लिए तो उन्होंने ही संदीप को पहली झलक में ही बोला था कि तुम तो ज़रूर एक्टर बनने आए हो। संदीप ने भी मौका देखा और चौका मारते हुए तुरंत हाँ भर दी कि मैं एक्टर हूं लेकिन रंगमंच का लिहाजा मैं डायरेक्शन में आकर अपनी एक्टिंग स्किल्स को कैमरा के हिसाब से तराशना चाहता हूं। उस वक्त रवि राय ‘विवेक मुशरान’ और ‘रवीना टंडन’ के साथ फिल्म ‘अनजाने’ कर रहे थे। जब ये फिल्म पूरी नहीं हुई तो रवि राय ने अनुपम खेर के प्रोडक्शन के लिए ‘इम्तिहान’ सीरियल शुरू किया तब जाकर संदीप को साल 1993 में ‘इम्तिहान’ में एक अहम चरित्र निभाने का मौका मिला। यह एक इत्तेफ़ाक ही रहा कि उनके इस चरित्र का नाम भी संदीप ही था।

जा ‘संदीप शर्मा’ जी ले अपने सपने- किसने कहा ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरूस्कार’ प्राप्त इस निर्देशक को
जा ‘संदीप शर्मा’ जी ले अपने सपने- किसने कहा ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरूस्कार’ प्राप्त इस निर्देशक को

संदीप शर्मा बातचीत के दौरान कहते हैं कि- अपनी पहली हरियाणवी फिल्म ‘सतरंगी’ जब उन्होंने बनाई, जिसे नेशनल अवॉर्ड भी मिला बेस्ट हरयाणवी फिल्म के लिए साल 2015 में, उसमें उन्होंने बिना कास्टिंग डायरेक्टर के ही कास्टिंग की प्रक्रिया पूरी की। इस फ़िल्म में 87 साल की दादी के किरदार के लिए संदीप ने अपनी ही नानी को कास्ट किया और डबिंग अपनी सास से कराई। उनकी इस फ़िल्म में बहुत से नए एक्टर्स थे जो पहली बार कैमरा फेस कर रहे थे। संदीप बताते हैं कि यह फ़िल्म उनके जीवन में एक अच्छे और रोचक अनुभव की तरह आई। लेकिन इसके साथ ही किसी फ़िल्म में कास्ट होने या खुद कास्ट होने को लेकर वे कहते हैं कि- समय-समय की बात है कास्ट होना और कास्ट करना लेकिन दोनों ही सुखद क्षण हैं।

संदीप कहते हैं कि बतौर अभिनेता यह मेरी दूसरी पारी है अभिनय की। पहली पारी में काफी सीरियल्स और फिल्में की जिनमें ‘तमन्ना’ महेश भट् के साथ, ‘साया’ अनुराग बसु के साथ, ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’ अज़ीज़ मिर्ज़ा के साथ। सीरियल्स में इम्तिहान, हिना, गैंबलर, शतरंज, गोपाल जी, रेत का दरिया, हैल्लो इंस्पेक्टर, मीत, जाने क्या बात हुई। वहीं बतौर निर्देशक उन्होंने सतरंगी, नंगे पांव, रंगीली जैसी फ़िल्में, इसके साथ ही कुछ सीरियल्स भी निर्देशित किए मसलन- लव स्टोरी, लेफ्ट राइट लेफ्ट, दिल मिल गए, मिले जब हम तुम, लव ने मिला दी जोड़ी, गीत हुई सबसे पराई, नादान परिंदे, शपथ, लाल इश्क, मौका-ए-वारदात। बतौर अभिनेता हरियाणवी सिनेमा में संदीप कई वेब सीरीज और फिल्में भी कर चुके हैं। गोया कि- लाडो, 1600 मीटर, फौजा, रंगीली,  डीसी रेट, कॉलेज कांड, ओपरी पराई, बहु काले की, हुक्का और हथियार। फिलहाल संदीप शर्मा बतौर अभिनेता या निर्देशक जिन फ़िल्मों और वेब सीरीज में नजर आने वाले हैं वे हैं- रंगीली, डीसी रेट, हुक्का और हथियार।

बतौर कलाकार अथवा निर्देशक क्या कुछ सीखने को मिलता है, के जवाब में संदीप कहते हैं कि- सिखाती तो हर स्क्रिप्ट है, हर निर्देशक है, हर एक्टर सिखाता है, हर नया सेट सिखाता है। वे अपने ही एक उदाहरण से बताते हुए कहते हैं- जब बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर मैंने ज्वाइन किया रवि राय जी को, तो.. रवि जी जो लिखते थे, उन लाइनों को बोलना, अपने आप में जोखिम भरा होता था। क्योंकि जिंदगी की इतनी महक होती थी उनके लिखे शब्दों में, इतनी सादगी होती थी कि उनको उतनी ही सादगी से बोलना ही कलाकार बना देता था। रवि राय कभी शॉट कैसे लेना है उस-पर काम नहीं करते थे बल्कि वे ज़ोर इस बात पर देते थे कि किरदार की संवाद अदायगी कितनी सहज है। फिर ऐसे ही अनुराग बसु का भी एकदम अल्हदा तरीका है। उनके साथ कई सीरियल्स और उनकी पहली फिल्म ‘साया’ में जॉन अब्राहम के साथ जब काम करने का मौका मिला तब वहाँ भी बहुत कुछ सीख सका, वे (अनुराग) लाइंस को भी चेंज कर देते हैं और शॉट एंगल में उन्हें मजा नहीं आया तो 4 टेक के बाद भी शॉट चेंज कर देते हैं। कुछ अलग चलता रहता है दिमाग में उनके। किन्तु यह भी ठीक है कि उनके दिमाग में सब साफ होता है, कि उन्हें क्या चाहिए। क्वालिटी और परफॉर्मेंस में वे कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं करते। हीरेन अधिकारी जिनके साथ ‘हैल्लो इंस्पेक्टर’ किया वे तो बिना स्क्रिप्ट के भी आ जाते हैं सेट पर और शूट शुरू कर देते हैं उनका भी अलग अंदाज है। जो तकनीकी रूप से मजबूत हो उनके साथ कुछ अलग सीखने को मिलता ही है सभी को।

यह भी पढ़ें- मजेदार है ‘बहू काले की’

हाल में ‘बहू काले की’ और ‘1600 मीटर’ नाम से आने वाली हरियाणवी फ़िल्मों में खुद के कास्ट होने के सवाल के जवाब में संदीप बताते हैं कि- कॉविड के दौरान हरिओम भाई से बात होती थी। मैं उस वक्त डायरेक्टर था और वापस एक्टिंग शुरू करना चाह रहा था। जब उन्हें दिल की बात बताई तो कुछ समय बाद ही अचानक उनका फोन आया कि आप ‘1600 मीटर’ कर रहे हो मेरे साथ। उन्होंने कहानी और कैरेक्टर बताया तो मना करने की कोई गुंजाइश ही नहीं थी। ऐसे मैं 1600 मीटर में कास्ट हुआ और फिर सेट पर बातचीत के दौरान जब एक-दूसरे को जानने का मौका मिला तो दिल भी मिल गए। फिर फौजा मिली, फिर बहु काले की। हरिओम का साथ अच्छा है, स्नेह है एक-दूसरे के प्रति, काम की लग्न है दोनों में, आदर भाव है और समर्पण की भावना। मैं अपने निर्देशक, डी  ओ पी, असिस्टेंट डायरेक्टर के प्रति भी हमेशा समर्पण भाव रखता हूं क्योंकि यही मुझे आता है।

संदीप शर्मा हाल में आने वाली फ़िल्मों 1600 मीटर और बहु काले की, में पिता का रोल निभाते दिखे लिहाजा क्या वे सिर्फ़ पिता का ही किरदार निभा सकते हैं या निभाना चाहते हैं, सवाल के जवाब में वे कहते हैं कि- मैं किसी भी किस्म का किरदार निभा सकता हूं। पर हां मैं एक ऐसा ही बाप भी हूं जिंदगी में भी जैसा दर्शकों ने मुझे इन दोनों फ़िल्मों में देखा है। वे कहते हैं कि- मुझे मेरे पिता जी की हमेशा एक बात याद रहती है.. जब मुझे बॉम्बे आना था एक्टिंग के लिए। उस वक्त बड़े भाई साहब सुनील जी, अपने बड़े भाई के नाते अपनी जिम्मेदारी के तहत मुझे नही जाने दे रहे थे। पर उस वक्त मेरे पिता जी ने मेरे बड़े भाई को कहा.. मैं अपने जीते जी किसी भी बच्चे के मुँह से ये नहीं सुनना चाहता, कि अगर मेरे मां-बाप ने मुझे मौका दिया होता, तो पता नहीं मैं क्या कर देता! ये जाना चाहता है इसे जाने दे। अपने पिता की ये बात हमेशा मेरे कानो में, दिल में गूंजती रहती है। जब ‘इम्तिहान’ सीरियल में मैं पहली बार आया था तो रात को एपिसोड देखने के बाद मैं अपनी बाइक लेकर निकल गया। कई देर तक रोता रहा कि आज दुनिया देख रही है, पर जिसकी वजह से आज मैं यहाँ दिख पाया, वो नही हैं। मैं आज भी अपने हर अच्छे-बुरे में अपने बाऊ जी को याद करता हूं।

जा ‘संदीप शर्मा’ जी ले अपने सपने- किसने कहा ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरूस्कार’ प्राप्त इस निर्देशक को
जा ‘संदीप शर्मा’ जी ले अपने सपने- किसने कहा ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरूस्कार’ प्राप्त इस निर्देशक को

वे एक सवाल के जवाब में कहते हैं कि- अगर मैं एक्टर नही होता तो मिट्टी संग मिट्टी हो रहा होता, किसान होता और कुछ आता ही नहीं था। आज किसानी में भी अपना ब्रांड होता पर जो हुआ बहुत अच्छा हुआ। आज किसानी के साथ ही मैं अपने सपने भी जी रहा हूँ।

हरियाणवी सिनेमा को लेकर संदीप कहते हैं कि- लगातार अच्छी फ़िल्में कहाँ आ रही हैं? कभी-कभार कोई आती है। इसीलिए तो हरियाणवी सिनेमा बन नहीं पा रहा ठीक से। लगातार फ़िल्में सिनेमाघरों में आने से एक माहौल बनेगा, दर्शकों को भी लगेगा कि अब यहाँ का सिनेमा बेहतरी की ओर बढ़ रहा है, किंतु अभी बारिश में वक्त है। मैं अपनी कहानियों में सरकारी लोकेशन नहीं रखता हूं फिर भी परमिशन आसानी से हो जाती है बावजूद इसके अभी तक हरियाणवी सिनेमा में कोई खास सहयोग नहीं आया है सरकार का।

बातचीत के दौरान संदीप बताते हैं कि उनके व्यक्तिगत तौर से पसंदीदा लेखक-निर्देशक-अभिनेता-गीतकार सलीम जावेद, सागर सरहदी मनोज कुमार, राजकपूर, यश चोपड़ा, राजकुमार हिरानी, संजय लीला भंसाली, कविवर नीरज, साहिर लुधियानवी, आनंद बक्षी, मुन्ना धीमान, शैली, संजीव कुमार, नूतन, दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, अजय देवगन आदि जैसे सिनेमा को समर्पित लोग हैं। वहीं हरियाणवी सिनेमा में उन्हें गीतकार के तौर पर आज के दौर में कृष्ण भारद्वाज से बेहतर कोई नजर नहीं आता।

जा ‘संदीप शर्मा’ जी ले अपने सपने- किसने कहा ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरूस्कार’ प्राप्त इस निर्देशक को
जा ‘संदीप शर्मा’ जी ले अपने सपने- किसने कहा ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरूस्कार’ प्राप्त इस निर्देशक को

हरियाणवी सिनेमा बना रहे युवा वर्ग को सन्देश देते हुए संदीप शर्मा बातचीत में कहते हैं कि- हरियाणा का नवयुवक आज हरियाणवी सिनेमा में बहुत अच्छा काम कर रहा है। उनके द्वारा कहानियां बहुत अलग कही जा रही हैं, एक्टर्स भी मेहनत कर रहे हैं अच्छा करने के लिए तो वहीं निर्देशक इत्यादि भी तकनीकी रूप से बेहतर करने की कोशिश में निरंतर सृजित हैं। सबसे अच्छी बात ये है हरियाणवी सिनेमा आगे बढ़ रहा है, पोस्ट प्रोडक्शन भी हरियाणा में होने लगा है। कई कमाल के गायक हैं हमारे पास। बस हमें अपने काम में एकाग्रता बनाए रखनी है न कि किसी को छोटा करना है न खुद को बड़ा समझना है। मिलजुल कर चलेंगे तो हरियाणवी सिनेमा अवश्य आगे बढ़ेगा।

चौपाल और स्टेज जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म ने क्या सचमुच कोई क्रांतिकारी काम किया है हरियाणवी सिनेमा के लिए? सवाल के जवाब में संदीप शर्मा कहते हैं- मैं सिनेमा उसे मानता हूँ जो सिनेमाघरों में एक स्पेशल टाइम पर टिकट लेकर देखा जाए। स्टेज और चौपाल जैसे ओटीटी को मैं सिनेमा को प्रोत्साहन देने वाला नहीं मानता। किन्तु इस बात से भी परहेज़ नहीं रखता कि ये दोनों ओटीटी प्लेटफॉर्म कुछ तो अच्छा कर ही रहे हैं। आज नए लोगों को बजट मिल रहा है कंटेंट बनाने के लिए। बजट पहले भी मिलता था निर्देशक को परन्तु उसमें निर्माता मर जाता था आर्थिक परेशानियों से। जबकि आज चीजें सुधरी हैं, माहौल काफ़ी सिस्टेमेटिक हुआ है अब

Facebook Comments Box
Show More

गंगानगर वाला

For Cinema, Books, Recipe, Litrature and Travel Related Authentic Writings... If You Want to Write for Ganganagar Wala, please drop a mail... गंगानगर वाला डॉट कॉम के संचालक लेखक, फिल्म समीक्षक तेजस पूनियां है। यहां आपको मिलेंगे साहित्य, सिनेमा, समाज से जुड़े लेख और समीक्षाएं और बहुत कुछ। अगर आप भी गंगानगर वाला पर दिखना या हमारे लिए लिखना चाहते हैं तो मेल कीजिए - tejaspoonia@gmail.com

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!