मेरा डांस पहचाना जा सके बस यही आरजू है-राघवेन्द्र सिंह
राघवेन्द्र सिंह हैदराबाद में पैदा हुए लेकिन पिछले कई वर्षों से राजस्थान में रह रहे हैं। लिहाजा वे खुद को राजस्थानी ही मानते हैं। डांस यानी नाच में उन्होंने राजस्थान की पहचान विश्व स्तर तक पहुंचाई है। कई क्षेत्रीय फिल्मों और बॉलीवुड की फिल्मों में बतौर कोरियोग्राफर काम कर चुके राघवेन्द्र से पिछले दिनों ‘सपना’ फिल्म की शूटिंग के दौरान गंगानगर वाला (तेजस पूनियां) की अंतरंग बातचीत हुई और आज आपके सामने लेकर हाजिर हैं- राघवेन्द्र सिंह की आरजू को लेकर।
हैदराबाद में जन्में और अपनी शुरूआती पढ़ाई वहीं से करने वाले राघवेन्द्र सिंह की कुछ परिस्थितियां ऐसी बनी की उन्हें राजस्थान आना पड़ा। यहां आकर 12वीं तक की पढ़ाई कर AIEEE हैदराबाद के नारायण कॉलेज पढ़ाई करते हुए जब उनकी रुचि डांस में हुई तो कॉलेज की बीच पढ़ाई बीच में छोड़ डांस सीखने लगे। राघवेन्द्र कहते हैं- जब मैं डांस की खोज में था उसी वक्त ‘फिजिक्सो न्यूरोबिक्स’ में लेवल फर्स्ट का सर्टिफिकेट प्राप्त किया और इसके साथ ही उन्होंने ‘यूनिवर्सिटी आफ फ्लोरिडा’ से रेकी में सैकेंड लेवल सर्टिफिकेट ऑस्ट्रेलिया से पूरा किया।
राघवेन्द्र डांस में करियर बनाने के सवाल को लेकर कहते हैं- जब मैं 10th में था तब से डांस कर रहा हूं। डांस मेरे खून में नहीं है क्योंकि मैं जिस परिवार से हूँ वहां आर्मी, एयर फोर्स और टीचर बनते हैं। दसवीं क्लास से ही वे डांस की तरफ रूख करने लगे। उसके बाद पूरी तरह से 12th में आते-आते जब उन्होंने करियर के बारे में विचार किया तो इंजीनियरिंग या डांस में से किसी एक को चुनने की उहापोह में उन्होंने मैंने तय किया कि डांस पढ़ना और करना मेरी लाइफ का अलग एक्सपीरियंस होगा। यहीं से डांस पर अपना फोकस कर इसे ही अपने करियर के रूप में उन्होंने चुन लिया।
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डांस को कोरियोग्राफ करते समय सबसे पहले आपके जेहन में क्या आता है। इस सवाल के जवाब में वे कहते हैं कि- मैं डांस को जीता हूँ, महसूस करता हूँ। मैं जब-जब डांस को कोरियोग्राफ करता हूँ तो सबसे पहले मेरे लिए यह मायने रखता है कि- मैं जिसको डांस सिखा रहा हूँ, वह डांस को कितना अच्छे से दिखा सकता है। फिर मैं यह सोचता हूँ कि- अगर मैं उनकी जगह होता तो कैसे डांस को दिखा पाता, इसी आधार पर वे डांस को कोरियोग्राफ करते हैं। उनका यही सोचना होता है कि- वे डांस के द्वारा लोगों को सुकून महसूस करवा सकें और डांस के लिए सबकी नजरों में एक अलग सम्मान हो। जब भी लोग किसी को डांस करते हुए देखें, जो मेरे द्वारा सिखाया गया है तो वह यह बात अपने आप कह उठे कि- यह तो राघव सर ने कोरियोग्राफ किया है। वे कहते हैं कि- मेरा डांस पहचाना जा सके हर बार बस यही आरजू है।
डांस करने के कई तरीके हैं जिनमें से राघवेन्द्र ने अपने ढंग का डांस बनाया है। वे कहते हैं कि- मैं जिस तरह का डांस मैं करता हूँ उसमें सिर्फ वेस्टर्न नहीं है। उसमें आपको बहुत सी कलाओं का समागम देखने को मिलेगा। मेरा डांस तीन चीजों को प्रदर्शित करता है- नट, नाट्य और नृत्य। जिसे वे थिएटर कंटेंपरेरी डांस भी कहते हैं। वे कहते हैं कि इस तरीके को मैंने खुद बनाया है और इस पर शोध भी कर रहा हूँ। वे कहते हैं कि- जब मैं डांस सीख रहा था तो कुछ अलग करने की चाह ने ही मुझे खुद का नृत्य बनाने के लिए प्रेरित किया और आज इस नृत्य के सहारे कई इंटरनेशनल और विश्व डांस चैंपियनशिप में राजस्थान को पहचान दिलाई है और स्वर्ण, रजत पदक भी दिलाये हैं।
डांस के विधिवत शिक्षण लेने के सवाल में राघवेन्द्र कहते हैं कि- मैंने ‘रामो जी फिल्म इंडस्ट्री’ में कोरियोग्राफर का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। असिस्टेंट कोरियोग्राफर राघवेन्द्र ने साउथ इंडस्ट्री के कई बड़े कलाकारों को भी डांस सिखाया। वे कहते हैं कि- मैंने इसकी ट्रेनिंग ली है मिस्टर अल्ताफ सर से, जो एक बड़े टीवी रियलिटी शो का भी अहम हिस्सा रह चुके हैं। फिलवक्त वे अब खुद से नए-नए डांस के तरीकों की खोज कर रहे हैं जो उनके जीवन भर चलने वाली है।
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कोरियोग्राफर के भीतर देखा गया है उनमें एक अलग ही लचक होती है। ऐसे में आपके साथ कोई दुर्व्यवहार हुआ। इस सवाल के जवाब में राघवेन्द्र कहते हैं- व्यक्ति जिस कला का प्रशिक्षण प्राप्त करता है उसका शारीरिक व्यवहार भी वैसा हो जाता है। यह बहुत जरूरी भी है क्योंकि अगर एक मुक्केबाज का प्रशिक्षण उसे मजबूत नहीं बनाता है तो उसे मुकाबला जीतने में दिक्कत होगी। उसके लिए उसे जरूरी है कि वह अपने आप को बहुत कठोर बनाये। वहीं कोरियोग्राफर की लचक की बात की जाए तो यह निर्भर करता है आपके प्रोजेक्ट किस प्रकार के हैं। अगर आप मोटिवेशनल सॉन्ग फिल्मा रहे हैं या कोई ऐसा सॉन्ग जिसमें महिला का पार्ट काम है तो उसमें बॉडी लैंग्वेज सामान्य रहेगा। वहीं अगर मेरी तरह आप डिमांड में है लड़कियों को डांस सीखने के लिए तो आपको लड़कियों को उन्हीं की बॉडी लैंग्वेज में समझाना पड़ेगा। लिहाजा आपकी बॉडी में लचक आना तय है। मैंने एक सेट पर महसूस किया एक कलाकार मुझे अलग नजरिये से देख रहा था। उनका देखना मुझे चुभ सा गया तो मैंने उन्हें कहा यह लचक मेरी कला का भाग है ना कि जीवन का, तब उन्हें समझ आया। तो इस तरह के लोग और इस तरह की सोच वाले लोग हर सेट पर मिलते हैं, पर एक वक्त बाद कुछ लोगों की राय बदल ही जाती है तो कुछ लोग वैसे-के-वैसे ही रहते हैं।
इंटरनेशनल लेवल तक आपना स्थान बना चुके राघवेन्द्र ने यहां तक पहुंचने का रास्ता कैसे खोजा? सच कहूँ तो मैंने सिर्फ मेहनत पर अपना फोकस रखा। अपने आपको हर उस स्टेज के लिए तैयार किया कि जब भी मौका मिलेगा तो मैं खुद को कभी नहीं पूछूंगा कि मैं उस दिन तैयार नहीं था। मैं बस अपने डांस के साथ लगा रहा और जब किस्मत ने साल 2019 में मौका दिया तो खुद को साबित भी किया और देश तथा राजस्थान के लिए गोल्ड मैडल लेकर आया। उसके बाद भी मैंने अपने आपको नहीं रोका। इसी तरह खुद को और बेहतर बनाते हुए साल 2022 में वर्ल्ड डांस चैंपियनशिप में भी राजस्थान के लिए ब्राज़ मैडल जीता। बात सिर्फ इतनी सी है कि आप अपनी मेहनत और काम के प्रति ईमानदार रहें, सचेत और जागरूक रहें, किस्मत आपको मौका जरूर देगी।
डांस इंडस्ट्री में बतौर कोरियोग्राफर राघवेन्द्र जिन मुश्किलों का सामना करना पड़ा उन्हें वे सकारात्मक नजर से देखते हुए कहते हैं कि- बतौर कोरियोग्राफर मैंने जो मुश्किल झेली वह आम मुश्किलें ही थीं। जब आप किसी मैदान में कदम रखते हैं तो वहां खड़ा हर शख्स आपको वहाँ से बाहर भेजने की तलाश में रहता है। मेरे सबसे बड़ी मुश्किल यह भी थी कि यह मौका मुझे अपने सपने भुलाने तक को मजबूर कर गया। लेकिन अपने सपने को भूल कर भी डांस के मैदान में जब भी मुझे मौका मिला उस दिन अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा डांस सिखाया और दर्शकों को दिखाया, फिर यही मेरे लिए जीने का सपना बन गया।
राघवेन्द्र यह भी कहते हैं कि- मैं बहुत दुर्भाग्यशाली हूँ कि डांस में मेरा कोई गुरु नहीं रहा। बस मेरे पास एक कांच (शीशा) है उसे ही मैंने अपना गुरु बना लिया क्योंकि कांच ने मुझसे कभी झूठ नहीं बोला। उसने मुझे हर वह सच्चाई दिखाई, कमी दिखाई जो मुझे सही करने में मदद करती और आगे बढ़ाने में मदद करती रही है। अपने प्रोजेक्ट्स को लेकर राघवेन्द्र कहते हैं कि- बॉलीवुड व राजस्थान इंडस्ट्री में कई बड़े सितारों के साथ काम कर चुका हूँ अब तक। इसके अलावा आगे आने वाले वक्त में मेरे पास कुछ ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जिसे देख लोगों को डांस में कुछ नया देखने को मिलेगा और नए सितारों के साथ भी यह काम बहुत अच्छा उभर कर आएगा। उम्मीद है इससे मुझे भी एक अलग पहचान मिलेगी बस आप मेरे लिए प्रार्थना जरूर करें।
आगामी दस साल में आप अपने को कहाँ देखना चाहते हैं और डांस सीखने के इच्छुक लोगों को आप क्या संदेश देना चाहते हैं, सवाल के जवाब में राघवेन्द्र कहते हैं कि- आगामी 10 सालों में अपने डांस के माध्यम से डांस की एक नई नींव रखूंगा, नई परिभाषा, नई सोच, नए लोगों के साथ जहाँ लोग डांस को देखते ही मेरा नाम लेंगे। मैं हमेशा एक बात कहता हूँ जो मूर्तिकार एक मूर्ति को बनाने में 10 दिन लेता है उसका मार्केट वैल्यू भी कम रहने के आसार होते हैं लेकिन जो मूर्ति बनने में 10 साल लेती है, वह बहुत कीमती होती है। तो अपने आप को बहुत लंबे समय तक प्रशिक्षित करें, हर आर्ट के लिए जो भी आप करना चाहते हैं।
बतौर डांसर राजस्थान सरकार से भी राघवेन्द्र को ज्यादा उम्मीदें नजर नहीं आती है। वे कहते हैं कि- आप सरकार की बात कर रहे हैं! यहाँ सरकार को पता भी है कि मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व विश्वस्तर पर राजस्थान को पहचान दिला चुका हूँ। डांस के माध्यम से मिले पदक से भी सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगती। ना हमें सहायता राशि मिली, ना राज्य सरकार से कोई सम्मान। हमारे द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने पर जो राशि लगती है वह तक सरकार से नहीं मिलती, हालांकि कला संस्कृति के नाम का पैसा भी खूब आता है लेकिन उससे कलाकारों को कुछ नहीं मिलता, हम जो विश्वस्तर पर प्रदर्शन करते हैं कला का वे भी मारे-मारे घूम रहे हैं। सरकार कला में संस्कृति संरक्षण के वादे तो करती है लेकिन कलाकारों को ही भूल जाती है। मुझे फिर भी उम्मीद है कि है कि सरकार शायद बात सुन ले अन्यथा यही हाल रहे तो हम कब तक और कैसे राजस्थान को बाहर के देशों को दिखा पाएंगे? राजस्थान के अलावा बाहर के राज्यों में सरकारें आर्थिक सहायता के साथ-साथ सम्मान भी देती हैं लेकिन हमारी किसको पड़ी है।
राघवेन्द्र की लाइफ का मंत्रा क्या है? – मेरी लाइफ का एक ही मंत्र है, मैं अपने आपको और अपनी कला को बेशुमार जीता हूँ। जब मैं फिल्में कोरियोग्राफ करता हूँ तो बिना किसी टोक बेशुमार करता हूँ। डांस जब भी करता हूँ, बेशुमार। ऐसा जैसा पहले कभी नहीं किया हो निजी जीवन में सबको बेशुमार खुशियां देकर उनका बेशुमार प्यार पाकर जीता हूँ और एक बात हमेशा याद रखता हूँ ओम इग्नोराए नमः।
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