Blogफिल्म रिव्यूबातें इधर उधर की

रिव्यू- देसी मजा देती ‘लव यू म्हारी जान’

Featured IMDb Critic Reviews

साल 2022-2023 में राजस्थान में एक फिल्म ‘लव यू म्हारी जान’ ने काफी चर्चा मीडिया में बटोरी थी। जिसकी वजह थी इसके शो कैंसिल हो जाना। तब इतनी हाय तौबा मीडिया में मची की एक समय तक इस फिल्म का बज बना रहा। अब यह जयपुर इंटर नेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई है लिहाजा गंगानगर वाला – आपके लिए लाया है – देसी मजा देती ‘लव यू म्हारी जान’ का रिव्यू।

राजस्थान में किसी जगह गाँव में अपने माँ-बाप को छोड़कर बेटा बीवी बच्चों के साथ शहर आ गया है। शहर में उसका एक बेटा पढ़ाई लिखाई में होशियार है तो दूसरा गुंडागर्दी में तेज। बाप को लगता है जैसे बड़ा बेटा नौकरी लगकर उसके सभी अरमानों को पूरा कर देगा। हरदम बड़े बेटे को मिलने वाला प्यार एक दिन अचानक कम हो जाता है क्योंकि वह नौकरी लगने के लिए घूस नहीं दे पाया। इधर छोटा बेटा छूटभैये नेता के पीछे लगकर गाड़ी ले आया।

देसी मजा देती ‘लव यू म्हारी जान’
देसी मजा देती ‘लव यू म्हारी जान’

कॉलेज खत्म होने पर बड़े बेटे की शादी तय हुई इस शर्त पर की नौकरी लगने पर शादी कर दी जायेगी। पर देखना यह दिलचस्प है कि क्या बड़े बेटे (किशन) की शादी हो पाई? क्या उसकी नौकरी की तलाश खत्म हुई? अव्वल तो राजस्थानी सिनेमा कायदे का बन नहीं रहा और ले देकर बन भी रहा है तो वह इस लेवल का नहीं है जिसके लिए दर्शक सिनेमाघरों को भर दें। यह तो गनीमत समझें की दर्शक राजस्थानी सिनेमा देख ही नहीं रहे कायदे से अगर वे सिनेमाघरों तक आ भी गये तो इस क्षेत्रीय सिनेमा का वह हश्र होगा जिसे सदियों तक याद रखा जाएगा।

यह भी पढ़ें- राजस्थानी सिनेमा वेंटिलेटर पर है ‘निर्मल चिरानियाँ’

‘लव यू म्हारी जान’ साल 2022 के जाते हुए साल में कुछ चुनिंदा सिनेमाघरों में दिखाई गई थी। तब इसका इतना जोर-शोर से प्रचार हुआ जिसे देखकर-सुनकर कुछ दर्शक अवश्य इन्हें मिल गये होंगे। फुल कमर्शियल सिनेमा के नाम पर फिल्म के निर्देशक मनोज कुमार पाण्डेय ने निर्माताओं को भोजपुरी, राजस्थानी, मुम्बईया सिनेमा, सन्नी देयोल की फिल्मों का घोल ही पिलाया है।

देसी मजा देती ‘लव यू म्हारी जान’
देसी मजा देती ‘लव यू म्हारी जान’

चंद लम्हों में आने वाले गाने और बैकग्राउंड स्कोर के साथ कुछ एक कलाकारों की एक्टिंग के चलते यह फिल्म दर्शक झेल तो सकते हैं एक बार के लिए। लेकिन जिसे झेलना पड़े उसे आप भला देखेंगे ही क्यों? हालांकि ऐसा नहीं है की यह पूरी फिल्म ही मिक्चर का घोल है बल्कि यह आपको देसी मजा भी देती है। इसके गानों में वह देसी मजा है जिसे भोजपुरी के दर्शक बहुत पहले चख चुके हैं। इसमें मजा मुम्बईया सिनेमा के एक्शन का देसीपन लिए हुए है। इसमें मजा अंकित भारद्वाज, निर्मल चिरानियाँ, लक्षित झांझी, गरिमा के अभिनय का है।

देसी मजा देती ‘लव यू म्हारी जान’
देसी मजा देती ‘लव यू म्हारी जान’

इसके इतर सहायक कलाकारों में अंशुल अवस्थी, अनिल भागवत, सुरभि भारद्वाज, कश्मीरा, जफर खान ऐसा कुछ नहीं दे पाते जिसे देखकर आप वाह-वाही कर उठें।  हंसी-मज़ाक़, सोशल मुद्दे, प्रेम, जीवन का संघर्ष, राजनीति, करप्शन, पेपर लीक, शिक्षा व्यवस्था, प्रशासन इत्यादि जैसी सैकड़ों बातों पर सवाल उठाने वाली फिल्म के निर्माताओं-निर्देशकों से भी सवाल तो किया जाना चाहिए। कि आखिर आपका बनाया सिनेमा क्यों देखें?

सवाल का जवाब भी मैं ही दे देता हूँ वरना राजस्थानी सिनेमा बनाने वाले तो हमेशा दर्शकों की कमी का रोना रोते ही रहेंगे। काश कि जितना बजट इस फिल्म के प्रमोशन के लिए निर्माताओं-निर्देशकों ने फूँका उसका आधा भी यदि और फिल्म बनाने में लगाते तो आपके सेट, आपके कलाकारों की कास्टिंग, आपकी लोकेशन, आपका मेकअप, आपका ड्रेस डिजाइन, आपकी फिल्म की कलरिंग, आपकी फिल्म का बी.जी.एम, आपकी फिल्म की एडिटिंग आदि तमाम चीजें सुधार कर आप दर्शकों को सालों बाद एक अच्छी और यादगार राजस्थानी फिल्म दे सकते थे।

देसी मजा देती ‘लव यू म्हारी जान’
देसी मजा देती ‘लव यू म्हारी जान’

फिलहाल तो आपकी ही फिल्म के एक डायलॉग से प्रेरित होकर मैं कहना चाहता हूँ- मैं गीता पर हाथ रखकर कसम खाकर कहता हूँ कि राजस्थानी सिनेमा कभी तरक्की नहीं कर सकता। कारण आपके पास अच्छी खासी कहानियों का भंडार है, आपके पास उन्हें कहने के पर्याप्त संसाधन हैं। नहीं है तो उसे इस कदर परदे पर उतार पाने का हूनर जिसे देखने के लिए दर्शक लालायित हो उठें।

सतीश जैन की लिखी कहानी को अगर कायदे से फैलाया-समेटा जाता और उसमें कुछ कसावट बरती जाती तो यह उम्दा कहानी कह सकती थी। निर्देशक ने जो कई जगहों का मिक्चर घोला है इसमें बजाए इसके वे अपना कुछ दे पाते तो यह यादगार फिल्म हो सकती थी। म्यूजिक के मामले में शिशिर पांडेय बेहतर रहे। कई जगहों पर सिनेमैटोग्राफी करने वाले सिद्धार्थ सिंह का काम भी संतोष दिलाता है। एडिटिंग के मामले में तुलेंद्र पटेल की कैंची में धार की कमी साफ़ झलकती है। मेकअप टीम ने जैसा मेकअप किया है उससे बेहतर तो किसी ब्यूटी पार्लर वाली को हायर कर लेना चाहिए था। फिलहाल तो लव यू म्हारी जान एक ऐसा देसी मजा देती है जिसमें कच्चेपन की महक उठती है। यह वो आइसक्रीम बनकर तैयार हो गई है जिसे खाते हुए आपको कुल्फी का मजा आता है जबकि रूपये आपने आइसक्रीम के दिए हैं।

देसी मजा देती ‘लव यू म्हारी जान’
देसी मजा देती ‘लव यू म्हारी जान’

नोट- जयपुर इंटर नेशनल फिल्म फेस्टिवल में इस साल दिखाई गई और राजस्थानी कैटेगरी में सम्मानित होने वाली यह फिल्म संभवत: एक बार फिर सिनेमाघरों में नजर आ सकती है नहीं तो कहीं ओटीटी पर रिलीज हो तो देख सकते हैं।

अपनी रेटिंग ..... 3 स्टार

Facebook Comments Box
Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!