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राजस्थानी सिनेमा वेंटिलेटर पर है ‘निर्मल चिरानियाँ’

निर्मल चिरानियाँ ग्रामीण पृष्ठभूमि के मध्यम वर्गीय परिवार से हैं और जयपुर के एक कॉलेज से बी.टेक की पढ़ाई करने के बाद सिनेमा में आये। हालांकि निर्मल के घर के माहौल में कोई सिनेमा की पृष्ठभूमि नहीं है और ना ही उनका कोई इसमें गॉड फादर जो सिनेमा से सम्बन्ध रखता हो। लेकिन घर का माहौल उन्हें हमेशा सकरात्मक मिला, शुरुआत में हर माँ बाप की तरह उनके माता-पिता को भी मेरे इस क्षेत्र में जाने को लेकर आपत्ति रही। हालांकि अनिश्चित भविष्य को लेकर ये चिंता उनकी अभी भी बरकरार है किन्तु बहुत सहज रूप से वे अब स्वीकार चुके हैं कि मैं अभिनय ही करूँगा। निर्मल मानते हैं कि उनके पास सिनेमा के क्षेत्र के अलावा कुछ ऐसा उन्हें नजर नहीं आया जिसमें वे बेहतर कर पाने का आत्मविश्वास अपने भीतर पाते। बचपन से स्कूली रंगमंच किया लेकिन तकनीकी समझ नहीं थी जिसको बाद में सुधार कर आगे मजबूती से बढ़ रहे हैं।

राजस्थानी सिनेमा वेंटिलेटर पर है 'निर्मल चिरानियाँ'
राजस्थानी सिनेमा वेंटिलेटर पर है ‘निर्मल चिरानियाँ’

निर्मल अपने शुरूआती सफर से खुश हैं। वे कहते हैं कि अभी तक का सफ़र शुरुआती तौर पर काफ़ी सही रहा है, अच्छा किया या बुरा किया पता नहीं पर ख़ुश हूँ।  अब तक के काम से, रंगमंच से शुरुआत हुई है तो नींव ठीक होने की वजह से अभिनय की समझ है जिससे भांप पाता हूँ कि मैं खुद कितना पानी में हूँ। इन बीते कुछ सालों में कुछ खट्टी यादें हुई भी होंगी तो याद नहीं क्योंकि याद रखना नहीं चाहता। मीठी में ऐसा कि पहला ही बॉलीवुड काम वेब सीरीज़ “कौन बनेगी शिकरवती” में मिला जिसमें युवा कलाकारों के गुरु माने जाने वाले नसीर साहब, रघुबीर यादव जैसे कलाकार थे तो मैंने निर्देशक के कहने पर नसीर साहब के 3,4 डायलॉग नसीर साहब के ही सामने हिंदी से शेखावाटी में अनुवाद करके बताया वह एक अच्छा अनुभव था।

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निर्मल को थियेटर और फिल्मों का कीड़ा कब लगा वे खुद नहीं जानते लेकिन उन्हें लगता था कि मैं थोड़ा-थोड़ा किसी सामने वाले को कॉपी कर पाता हूँ  लेकिन जब समझ आयी तो और एक्सप्लोर करने का सोचा कि क्यों ना किसी के लिखे हुए को अपने लहज़े से प्रस्तुत किया जाए  और बस रंगमंच हेतु जुड़ गया इप्टा से। फिर जब आपको प्रशंसा मिलती है, उनसे जिनको देखकर आप रंगमंच से जुड़े या जिनके साथ काम करना चाहते हों तो अपने आप दिलचस्पी बढ़ती है और आगे जाने की। फ़िल्मों का नहीं पता पर ये था कि पर्दा छोटा हो या बड़ा उस पर दिखना जरुर है अभिनेता के तौर पर, किरदार छोटा या बड़ा नहीं सोचा क्योंकि शुरुआत में जो मिले करूँगा ही सही।

राजस्थानी सिनेमा वेंटिलेटर पर है 'निर्मल चिरानियाँ'
राजस्थानी सिनेमा वेंटिलेटर पर है ‘निर्मल चिरानियाँ’

राजस्थान का पढ़ने लिखने वाला परिवार उनके बीच आप फिल्मी दुनिया में घर वालों का कैसा रवैया रहा इसको लेकर? इस सवाल को लेकर निर्मल चिरानियाँ कहते हैं – शुरुआत में मनाही थी और एकदम साफ़ रूख़ था कि तुरन्त प्रभाव से सरकारी नौकरी लग जाऊं ये सब छोड़कर, लेकिन कानों ने उनको सुनना बंद कर दिया था। कभी उनके सामने नहीं बोला, कभी चिल्लाया नहीं, बस चुप रहा। ख़ुद से ही कहता था और ख़ुद ही सुनता था। छोटे भाई तेजा का पूरा सहयोग शुरू से था। धीरे-धीरे जब छोटे पर्दे पर दिखा तो वो मनाही की सुई न्यूट्रल हो गयी थी लेकिन अब सुई को सकारात्मक रूप से आगे बढाने के लिए बहुत कुछ करना है, आख़िर हर माँ बाप अपने बच्चे का अच्छा भविष्य चाहते हैं।

निर्मल चिरानियाँ जल्द ही स्टेज एप्प पर पंकज सिंह तंवर निर्देशित वेब सीरीज रीस में नजर आने वाले हैं। इस सीरीज को लेकर निर्मल कहते हैं कि- सीरीज में काम तो ऑडिशन से ही मिला। पंकज जी का कॉल आया कि एक वेब सीरीज़ के लिए अर्जेंट ऑडिशन भेजो, ऑडिशन देखते ही उन्होंने लॉक कर दिया। वेब सीरीज़ का नाम ‘रीस’ है जो राजस्थानी स्टेज एप्प पर आएगी, रोल के बारे में ज़्यादा कुछ ना कहकर यही कहूंगा कि प्रेम प्रधान किरदार है, किरदार का नाम ‘दीपक’ है जो ईमानदार है, बेईमान है आटे में नमक जितना। किसी वजह से वह एक घटना का शिकार हो जाता है। किरदार निभाते वक़्त मज़ा आया, काफी उतार चढ़ाव वाला किरदार है, मुझे पूरी उम्मीद है कि दर्शकों को दीपक बहुत पसंद आएगा।

राजस्थानी सिनेमा वेंटिलेटर पर है 'निर्मल चिरानियाँ'
राजस्थानी सिनेमा वेंटिलेटर पर है ‘निर्मल चिरानियाँ’

राजस्थानी सिनेमा को लेकर हुई बातचीत में निर्मल कहते हैं – राजस्थानी सिनेमा लगातार अच्छा ना बन पाने की वजह से वेंटिलेटर पर है बहुत वर्षों से। कोई समय था जब इसका स्वर्णिम काल था ‘बाई चाली सासरिये’ के वक़्त। लेकिन बाद के कुछ समय से सिर्फ सरकारी अनुदान उठाने के लिए फ़िल्में बनाई जा रही थीं, निर्देशक और प्रोड्यूसर के पास इस सवाल का जवाब ही नहीं होता था कि ये फ़िल्म दर्शक क्यों देखें? फिर अब हाल के दिनों में स्टेज एप्प ने लगातार ओटीटी कंटेंट लाकर टिपिकल राजस्थानी अभिनय को तोड़ने की कोशिश की है, जो कुछ हद तक क़ामयाबी की राह पर है।

निर्मल ने अभिनय करते हुए निर्देशन में हाथ आजमाया है। वे कहते हैं- निर्देशन नाटक में किया है, जो कि अच्छा लगता है लेकिन सिनेमा में निर्देशन करने का फिलहाल तो मन नहीं। शायद जितना अच्छा अभिनय में मैं सोच पाता हूँ उतना निर्देशन में नहीं सोच पाता इसलिए भी। निर्देशन करना मेरे लिए आसान काम नहीं है। बाकी भविष्य में हो सकता है निर्देशन भी करूँ।

कोई ऐसी राजस्थानी फिल्म या सीरीज जिसे आपको बनाने का मौका मिलता तो बतौर निर्देशक आप उसे कैसे बनाते, सवाल के जवाब में निर्मल कहते हैं – मैं कभी निर्देशन में दिमाग उतना नहीं दौड़ा पाता, तो पूरी फ़िल्म का तो नहीं लेकिन कुछ-कुछ शॉट्स में बता सकता हूँ कि इस शॉट को अलग तरीके से दिखा सकते थे। फिर हर निर्देशक अपना अलग थॉट रखता है तो आप एक हेल्दी डिस्कशन ज़रूर कर सकते हो निर्देशक से लेकिन बहस नहीं। मैंने राजस्थानी फ़िल्म ‘लव यू म्हारी जान’  देखी जिसमें मैंने बतौर अभिनेता काम भी किया और वेब सीरीज देखी ‘सरपंच’,  खुशकिस्मती से दोनों के ही निर्देशक समझदार और अनुभवी हैं लिहाजा ऐसे में कुछ कहना संभव नहीं की मैं इन्हें कैसे बनाता।

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एक्टिंग करते समय, फिल्म या सीरीज साइन करते समय क्या कुछ विचार करते हैं निर्मल से जब इस मुद्दे पर बात हुई तो उनका कहना था- सच कहूँ तो अभी ये सब नहीं सोचता और ना ही यह कि ये नहीं करूँगा वो नहीं करूँगा। लेकिन जैसे किसान हर फसल की उम्मीद करता है कि इस बार फसल अच्छी हो! वैसे ही मैं भी किरदार के इर्द-गिर्द सोचता हूँ और एक सकारात्मक उम्मीद बनाता हूँ कि कुछ तो अच्छा निकलेगा। शुरुआत में ये रहता था कि पता नहीं कैसा लगा होगा निर्देशक को, अभी भी सोचता हूँ लेकिन अपेक्षाकृत कम।

बॉलीवुड और रीजनल सिनेमा में किससे सीखने को मिला? या ज्यादा किसका काम देखना पसंद करते हैं? सवाल के जवाब में निर्मल कहते हैं- वैसे तो सीखने को तो यूट्यूब वीडियो से भी मिल जाता है।  लेकिन अभी तक बॉलीवुड सिनेमा ज़्यादा देखा है तो सीखा भी उसी से ज़्यादा है। राजस्थानी सिनेमा के लिहाज से बात करूँ तो रीजनल फ़िल्में तकनीकी रूप से कमतर रहती हैं। फ़िल्में देखने का भी अब ढंग बदला है अब बहुत कुछ फ़िल्टर लगाकर देखता हूँ, मसलन निर्देशक कौन है? अभिनेता कौन है?  सब्जेक्ट क्या है? क्योंकि फ़िल्में तो ख़राब जो बोली जाती हैं वो भी देखनी चाहिए जिससे आपको कमियां पता लगे लेकिन बात जब पसन्द की आती है तो फिल्टर अपने आप लग जाते हैं। हालांकि मुझे विशाल भारद्वाज की फ़िल्में काफी प्रभावित करती हैं, उनमें अभिनय, निर्देशन, सब्जेक्ट इत्यादि सब मिलता है।

निर्मल ने अभिनय में कोई डिप्लोमा या डिग्री ली है विधिवत रूप से वे कहते हैं कि बस रंगमंच देखा है और कर-कर के सीखा है, जितना भी जानता हूँ, ख़ुद का अनुभव है। जल्द ही निर्मल ‘कबीर खान प्रोडक्शन’ की ‘जेन्गो’ वेब सीरीज़ और स्टेज एप्प पर ‘रीस’ में नजर आने वाले हैं इसके अलावा एक फ़ीचर ‘हेल्प’ भी जल्द रिलीज होने वाली है।

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