राजस्थानी फिल्मों को एक मुकाम दिलाने में लगे हैं ‘दीपांकर प्रकाश’
राजस्थानी सिनेमा पर ढेरों लेख और फिल्मों की समीक्षाओं के साथ-साथ शुभम् प्रकाशन से आई अपनी किताब “सिनेमा विविध रंगरूप” तक में राजस्थानी सिनेमा के इतिहास को लेकर एक लंबा लेख लिख देने के बाद भी और यहां के तमाम फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों, कलाकारों को कई सलाहें दे चुकने के बाद भी अगर राजस्थानी सिनेमा के लिए लिखना पड़ रहा है तो उसकी वजह है एकमात्र “दीपांकर प्रकाश”। दीपांकर प्रकाश ने शूट के दौरान कहा कि- मुझे राजस्थानी फिल्मों को एक मुकाम दिलाना है। मैं चाहता हूँ कि फिर से एक बार राजस्थानी सिनेमा को लोग उसी प्यार से देखे जैसे आज से एक दो दशक पहले देखा करते थे। उन्होंने कहा कि- अभी इस फिल्म का शूट एक महीने तक चलेगा। उसके बाद एडिटिंग आदि सभी तकनीकी काम होने के बाद एक-दो साल इसे फिल्म फेस्टिवल्स में दिखाया जाएगा।
“नानेरा” जैसी फिल्मों को विश्व स्तर पर ले जाने और असल राजस्थानी सिनेमा को पर्दे पर उभारने का जो काम दीपांकर के सधे हुए हाथों ने किया था वह तो खूब तारीफें बटोर ही चुका है। इसके अलावा भी ‘मूसो” , ‘मसक्कली’, ‘नेकेड वॉइस’ , ‘क्राइम नेक्स्ट डोर’ जैसी कई फिल्में और वेब सीरीज जिनका भले ही आपने नाम भी ना सुना हों किन्तु ये सब दीपांकर के निर्देशकीय तरकश से निकले हुए वे तीर हैं जो दीपांकर को राजस्थान में तथा राजस्थानी सिनेमा में आला मुकाम पर खड़ा करते हैं।
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कल एक बार फिर से दीपांकर ने एक और राजस्थानी फिल्म का शूट शुरू किया है। नाम है “शांतिनिकेतन”। कल शूट पर साफ दिखाई पड़ रहा था कि आखिर दीपांकर का निर्देशन क्यों अलग उभर कर आता है परदे पर। एक मात्र 10 सैकेंड के शॉट के लिए भी कैमरे को 36 बार घुमाना। कैमरामैन को लगातार समझाना, कलाकारों को अभिनय करने देने के लिए खुला मंच उपलब्ध करवाना ये सभी दीपांकर को तमाम राजस्थानी सिनेमा के निर्देशकों में अलग बनाते हैं।
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राजस्थान के तमाम फिल्म निर्देशकों को दीपांकर प्रकाश जैसे निर्देशकों के द्वारा की जा रही शूटिंग को देखना चाहिए, सीखना चाहिए। कल से शुरू हुए इस फिल्म के शूट को पूरा होने में करीब एक महीना लगने वाला है। एक महीने तक पूरे जयपुर और आस-पास के इलाकों में कहीं कोई कैमरामैन सड़कों पर दिख जाए तो अपने कदमों को वहीं रोक लीजिएगा। हो सकता है ये दीपांकर ही हो और आपको सिनेमा की कुछ समझ हासिल हो जाए।
“शांतिनिकेतन” की कहानी जो पर्दे पर दिखाई जाएगी उसमें एक युवा पति पत्नी जिनकी कुछ समय पहले ही शादी हुई है, के जीवन में आ रही परेशानियों और लड़की के मायके के सहारे उसके परिवार में होने वाली घटनाओं पर सकारात्मक, नकारात्मक प्रभावों को दिखाया जाएगा। इसके साथ ही यह फिल्म ये भी दिखाएगी की कैसे घर की जिम्मेदारियों के बीच ये लोग पिस रहे हैं। जिसके चलते इनके रिश्तों में दूरियां होने लगी हैं। तनाव और दूरियों से कैसे ये लोग निपटने वाले हैं यह देखना दिलचस्प होगा।
फिल्म के निर्देशक “दीपांकर प्रकाश” के साथ इस फिल्म के निर्माता बने हैं जर्मनी के रहने वाले हॉलीवुड की फिल्मों के लिए विजुअल इफैक्ट करने वाले “माइकल ग्रोब”। माइकल ने फास्ट एंड फ्यूरियस, स्लंबरलैंड, द फर्स्ट सागा, ग्रे हुड, इनफेरनो, कोड नेम ओरेकल, किंग कॉन्ग जैसी फिल्मों कई बड़ी और चर्चित फिल्मों के लिए अपने विजुअल इफैक्ट का काम करके उन्हें सजाया, संवारा है। फिल्म की लीड कास्टिंग में शामिल नीरज सैदावत इससे पहले ‘पॉप कौन’, सैम बहादुर, माया, बच्चन पाण्डेय जैसी फिल्मों में नजर आ चुके हैं तो वहीं नंदा यादव जागीर, शिक्षा मंडल, मजमा, कलाबाई फ्रॉम बायकल्ला में नजर आईं हैं।
इसके साथ ही साउंड रिकॉर्डिंग के लिए दो बार के नेशनल अवॉर्ड विनर “अजय सिंह राठौड़ इसके निर्माता बने हैं।। फिल्म में मुख्य भूमिका के लिए नंदा यादव, नीरज सैदावत, उषा श्री को कास्ट किया गया है। वहीं रमन अत्रे, आदित्य, निकिता वर्मा सहायक किरदारों की भूमिका में नजर आने वाले हैं। एक बार फिर से दीपांकर की फिल्म के लिए सिनेमैटोग्राफी करने वाले हैं “पुनीत धाकड़” और सिंक साउंड करेंगे “विहेक” क्रिएटिव हैड और क्रिएटिव प्रोड्यूसर का काम संभालती नजर आएंगी निकिता वर्मा।
यह फिल्म 2025 तक बनकर तैयार होगी और उसी दौरान इसे कई फिल्म समारोहों में भी प्रदर्शित किया जाएगा। दीपांकर के निर्देशन का जादू एक बार फिर से राजस्थानी सिनेमा के बहाने दर्शकों को देखने के लिए मिलने वाला।