मिलिए ‘जिद्दी’ फिल्म निर्देशक ‘चिराग भसीन’ से
चिराग भसीन हरियाणा के हिसार में जन्में और हाल में हरियाणवी फिल्मों में सक्रिय हैं। फिल्मों के निर्देशन की बात की जाए तो जिद्दी हरियाणवी, स्कैम, घूंघट जैसे कुछ हरियाणवी भाषा में प्रोजेक्ट कर चुके हैं और बहुत जल्द स्टेज एप्प पर एक बार फिर अपनी नयी फिल्म ‘छापा’ के साथ नजर आने वाले हैं। इसके साथ ही ‘सत्य’ नाम से भी एक अन्य फिल्म पर काम कर रहे हैं, जो पंजाब के एक बड़े ओटीटी प्लेटफार्म ‘चौपाल’ पर नजर आएगी। चिराग से हुई कुछ बातचीत के अंश आज आपके लिए लेकर आया है – गंगानगर वाला। तो मिलिए ‘जिद्दी’ फिल्म निर्देशक ‘चिराग भसीन’ से।
चिराग भसीन अपने बचपन के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि – बचपन में पढ़ाई में कुछ ज्यादा अच्छा नहीं था शुरुआत से ही इतने ही नंबर आते थे कि जैसे-तैसे बस पास हो सकूं। जिसके चलते स्कूल में टीचर भी उनसे नाराज रहते और कहते कि तू कुछ नहीं कर पायेगा। लेकिन स्कूल में ही खेलों और अन्य गतिविधियों में भी बराबर सक्रिय रहने वाले चिराग का सपना क्रिकेटर बनने का था। वे कहते हैं कि कुछ परिस्थितियाँ ऐसी बनी की क्रिकेटर नहीं बन पाया। लिहाजा रचनात्मक होने के कारण आज जो भी हूँ आपके सामने हूँ।
फिल्मों का कीड़ा कैसे लगा सवाल के जवाब में चिराग भसीन कहते हैं कि – फिल्म का कीड़ा बचपन से ही था और फिल्म देखने से ज्यादा यह सोचता था कि ये बनती कैसे हैं। फिल्मों में होने वाले एक्शन, मर्डर के दृश्य आदि के बारे में जानने में रुचि होती थी कि ये सब कैसे किया जाता है। फिर स्कूल में पढ़ाई में लगभग कमजोर होने कारण चिराग को ड्रामे, इवेंट या कोई भी गतिविधि में भी जाने नहीं दिया जाता था बावजूद इसके वे कहते हैं कि- मैं 9 वीं क्लास से थियेटर से जुड़ा और वहीं पर अभिनय के गुर भी सीखे।
वेब सीरीज और फिल्में बना रहे चिराग भसीन फिल्म या वेब सीरीज को लिखने से लेकर बनाने तक की विचार प्रक्रिया के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि- अगर क्रियेटर की बात करूँ तो मैं हमेशा से वही कंटेंट बनाता आया हूँ जो समाज को एक सीख देकर जाए। चाहे “घूंघट” हो या कोई और कंटेंट। यह हमेशा ध्यान में रखता हूँ कि जो भी कोई कंटेंट बना रहा हूँ उसे लोग रियल लाइफ से अपना जुड़ाव महसूस कर सकें। फ़िल्में मनोरंजन का साधन है जिसे लोग मनोरंजन के रूप में देखते हैं, पर मैं कोशिश करता हूँ कि लोग उससे कुछ सीखें भी। वैसे भी सिनेमा मनोरंजक तरीके से अपनी बातें रखने का और सीख देने का एक माध्यम है, तो इसी को ध्यान में रखते हुए मैं फ़िल्में बनाता हूँ।
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फिल्म के किसी भी सीन को शूट करने से पहले चिराग भसीन क्या पूर्व तैयारी करते हैं? के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि – कोई भी स्टंट सीन शूट करने के लिए पहले तैयारी इस तरह करता हूँ कि वह लोगों को वो सच्चा लगे, उसमें कुछ भी बनावटीपन ना हो। हालांकि इसके साथ यह भी ध्यान रखा जाता है कि कलाकारों की जिंदगियां सुरक्षित रहें, उन्हें किसी तरह की चोट न लगे। इन सभी चीजों को अच्छे से क्रियेट करने के लिए पहले से बहुत सी तैयारी सेट पर उनके द्वारा की जाती है।
चिराग अपनी फ़िल्मों को बनाने से पहले किसी तरह का वर्कशॉप भी करते हैं? सवाल के जवाब में चिराग कहते हैं कि- किसी भी फिल्म का शूट शुरू होने से पहले कलाकार की ट्रेनिंग तो होती ही है ताकि हर एक कलाकार को अपने रोल के बारे में पता चल सके और सब एक-दूसरे के साथ जुड़ाव महसूस कर सके। वे अपने-अपने किरदारों और उसकी भूमिका को समझ सकें। अपने किरदार का प्रभाव उसे दूसरे किरदार से कैसे जोड़ना है और कैसे आदत में लाना, के लिए वर्कशॉप भी बहुत जरुरी है। फिर सभी कलाकारों को पता हो कि निर्देशक की जरूरत क्या है? आपसे और आपको कितना, कैसे अभिनय करना है इन सब बातों के लिए वर्कशॉप तो की ही जाती है।
अपने किसी भी प्रोजेक्ट के लिए प्रोड्यूसर अथवा फाइनेंसर को खोजने की बात पर चिराग कहते हैं कि- किसी भी फिल्म के लिए फाइनेंसर को खोजना मुश्किल नहीं है अगर आप अच्छी फिल्में बना रहे हैं, जो लोगों को पसंद आ रही है और इंडस्ट्री में अच्छा काम कर रहे हैं तो फाइनेंसर के साथ-साथ ओटीटी भी आपको पैसा देगा। काम अच्छा हो और संभावनाएं हों आपमें तो फाइनेंसर भी क्रियेटर को ढूंढ लेते हैं पर अगर आप खुद ही ऐसे सोचें कि एक ही फिल्म में आप सारा पैसा कमा लें और कम पैसा लगाएं खुद के लिए ही बचाएं तो बिल्कुल इस चीज में आपको अगली बार से फंड नहीं मिलते कोई कंटेंट बनाने के लिए।
आने वाले प्रोजेक्ट क्या कुछ है- फिलहाल एक प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है जिसका नाम “सत्य” है। जो कि सनातन धर्म के सत्य के ऊपर है और इसे हम एक फिल्म के रूप में पेश करेंगे। इसके अलावा स्टेज एप्प पर जल्द ही “छापा” नाम से फिल्म रिलीज होगी। जिसमें लोकेश मोहन खट्टर, सोनू सीलन जैसे अच्छे थियेटर के कलाकार हैं जो कि पहले भी बहुत सी फिल्मों में अपने हुनर के जलवे दिखा चुके हैं। वहीं “सत्य” फिल्म में अमित अंतिल, आकांशा भारद्वाज के साथ और भी बहुत से कलाकार जुड़े हुए हैं। फिर कास्टिंग की बात करूँ तो मैं जब भी कोई स्क्रिप्ट पढ़ता हूँ तो जो भी कैरेक्टर होते हैं वो अपने-आप दिमाग में बैठ जाते हैं कि यह किरदार फलां कलाकार अच्छे से कर सकता है। अगर फिर भी कुछ रह जाता है तो हम ऑडिशन भी रखते हैं जिससे अच्छे कलाकार को मौका मिले और जहाँ तक इन दोनों के रिलीज की बात है तो ये 2024 के मध्य तक दर्शकों को देखने मिलेगी।
चिराग भसीन ने फिल्म मेकिंग का कोर्स भी किया है किन्तु उन्हें लगता है कि कोई कोर्स की जरूरत नहीं थी। क्योंकि उन्होंने जितना कोर्स से सीखा उससे दस गुना ज्यादा सेट पर अनुभव से सीखा। फिल्म को वास्तविक रूप में बनाकर उन्होंने फिल्मों के निर्देशन को करीब से जाना। वे मानते हैं कि कोर्स करने से अच्छा उसे निजी जीवन में करने देखने से इंसान सीखता है। कुछ बातें पढ़कर नहीं सीखी जातीं बल्कि करके ही ज्यादा और नया अनुभव ले सकते हैं।
युवा और दिलचस्प किस्म के इंसान चिराग कहते हैं कि उन्होंने शादी को लेकर अभी कोई प्लानिंग नहीं की है। उन्हें फिलहाल बस काम पर ही ध्यान देना है और अच्छा काम करना है। अपनी रचनात्मकता का निर्देशन में और अधिक विस्तार करने की इच्छा रखने वाले चिराग अपने निजी जीवन में अफेयर को लेकर कहते हैं कि – कोई अफेयर या प्रेम विवाह या अरेंज मैरिज में देखें तो आज के समय में शायद ही कोई अरेंज मैरिज करता है। इस बात से वे अपने भी अफेयर की बात को दबी जुबान से कहते नजर आये।
बतौर निर्देशक चिराग खुद क्राइम या फैमिली ड्रामा वाली फ़िल्में देखना और बनाना ज्यादा पसंद करते हैं ताकि वे ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को अच्छा कंटेंट मनोरंजक तरीके से पहुँचा सकें और इनसे बच्चे और परिवार सीख ले सकें। सिनेमा में चिराग किसी को फॉलो करने की बात पर कहते हैं कि- कलाकारी में मैं अक्षय कुमार और निर्देशन में करण जौहर को पसंद करता हूँ।
फिल्म निर्देशक चिराग भसीन हिंदी और हरियाणवी के अलावा साउथ की भाषा में भी फिल्म बनाने का प्लान कर रहे हैं। वे कहते हैं अभी बहुत काम करना है, काफी प्रोजेक्ट बनाने हैं। फिर ये तो कोई तय मानदंड नहीं की हिंदी, हरियाणवी में ही सीमित रहूँ, साउथ की भाषा में भी फिल्म बनानी है वहाँ भी अच्छे पारिवारिक कंटेंट देना चाहता हूँ।
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