17 वां जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आया और हो गया

17 वां जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आया और हो गया।
तेजस पूनियां, जयपुर
पिछले 16 सालों से लगातार जयपुर में बड़ी शान के साथ आयोजित हो रहे जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का इस बार 17 वां एडिशन बीते शुक्रवार 17 जनवरी को शुभारम्भ और अवार्ड सेरेमनी के साथ शुरू हुआ राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर से। गीत-संगीत और ढेरों अवार्ड के बाद अगले दिन से जयपुर के जीटी मॉल में करीब 240 से अधिक विभिन्न भाषाओं और विभिन्न देशों की विभिन्न कैटेगरी में फ़िल्में प्रदर्शित हुईं। हर बार की तरह इस बार के जिफ में रेड कार्पेट तो हुआ किन्तु जो नहीं हुआ वह था मुख्य अतिथि की परंपरा का समाप्त होना। जिफ के आयोजक हनु रोज ने उद्घाटन में कहा कि इस बार से हम यह परम्परा समाप्त कर रहे हैं क्योंकि हमारे लिए सभी मुख्य अतिथि हैं।

इस बार के जिफ में भी हमेशा की तरह देश-विदेश से कई कलाकार, निर्माता, निर्देशकों ने शिरकत की और ढेरों चर्चाएँ आयोजित की गईं। करीब-करीब 48 देशों से नामांकित की गई 240 फिल्मों में से 75 उत्कृष्ट फिल्मों को 98 पुरस्कार बांटे गये। जहाँ एक ओर प्रसिद्ध सितार वादक पं. चंद्र मोहन भट्ट के निर्देशन में गीत का समा बांधा गया तो वहीं दूसरी ओर राजस्थान के लोक कलाकार मांगणियार जाति के कलाकारों द्वारा “पधारो म्हारे देश” पर मोहक प्रस्तुति हुई।
17 वें जिफ में इस साल का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड रोमांस के किंग, स्वर्गीय श्री यश चोपड़ा को समर्पित किया गया। इस बार जयपुर इंटर नेशनल फिल्म फेस्टिवल में ख़ास तौर से हिंदी सिनेमा की 9 आइकॉनिक हिंदी फिल्मों को भी प्रदर्शित किया गया। इन फिल्मों में देवदास, रंग दे बसंती, वीर-ज़ारा मदर इंडिया, राजा हिंदुस्तानी, नीचा नगर, सलाम बॉम्बे!, डीडीएलजे की खास स्क्रीनिंग हुई।

यश चोपड़ा के लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरूस्कार को लेने आये उनके पोते ऋषभ चोपड़ा ने कहा कि- मेरे दादा स्वर्गीय यशराज चोपड़ा का सिनेमा के प्रति जुनून और उनका योगदान आज भी हमें प्रेरित करता है। यह अवॉर्ड उनकी यादों और उनकी अनमोल विरासत को सजीव करता है। मैं जिफ का आभारी हूं, जिसने यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें दिया।
कई कैटेगरी में बांटे गये अवार्ड में राजस्थान पैनोरमा पुरस्कार विशेष तौर पर चर्चा योग्य है। राजस्थान में होने वाले इस फिल्म समारोह में राजस्थान को हमेशा से अलग प्राथमिकता दी गई है। इसी कैटेगरी में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म: शांतिनिकेतन, निर्देशक दीपांकर प्रकाश (राजस्थान), विशेष जूरी मेंशन पुरस्कार: भरखमा निर्देशक एस. सागर (राजस्थान) को दिया गया।

फिल्म रंग दे बसंती के प्रदर्शित होने के बाद एक चर्चा में शामिल हुए राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने कहा कि “हमने रंग दे बसंती नहीं बनाई, फिल्म ने हमें बनाया है ख़ास तौर से अभिनेताओं को, निर्माताओं को, और पूरी टीम को।“
जिफ में इस बार कई स्वतंत्र फिल्म निर्देशकों की बनाई फिल्मों को भी ख़ूब सराहा गया। एक वजह, वेलडन सीए साहब, शान्ति निकेतन, फ़र्ज, गुड लक, गूलर के फूल, अमृतसर जंक्शन, नुक्कड़ नाटक जैसी फ़िल्में खूब सराही गईं। हालांकि जीटी मॉल में आयोजित हुए फिल्म समारोह में सुबह 9 बजे वाले अधिकाँश और कुछ बाद के भी शोज में भी अच्छी खासी दर्शकों की कमी महसूस हुई तो कुछ फिल्मों का इतना बज बना रहा कि पूरा सिनेमाहॉल भरा रहा। कई फिल्मों ने खूब तालियाँ बटोरीं तो कुछ एक फिल्मों ने तीखी आलोचनाएं भी। हालांकि इस बार के जिफ के कुछ फीके रहने की एक वजह पूरे फिल्म समारोह में दर्शकों के लिए शुल्क आधारित पास भी एक वजह बना। कई निर्माता, निर्देशक आपस में चर्चा करते नजर आये कि एक तो हम एंट्री फीस दें ऊपर से हमारी ही फिल्म को देखने आये दर्शकों के लिए टिकट भी खरीदें। तो वहीं कुछ यह कहते सुने गये कि फिल्म समारोह में आम दर्शक नि:शुल्क अच्छा सिनेमा देख पाए इसलिए उनका आयोजन किया जाता है।

खैर कई खट्टी-मिठ्ठी यादों, वादों के 21 जनवरी 2025 को 17 वें जयपुर इंटर नेशनल फिल्म फेस्टिवल का समापन हो गया।
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