सिनेमा में जायज नाजायज कुछ नहीं है- अजय ब्रह्मात्मज

आप इसे पढ़ना शुरू करें उससे पहले स्पष्ट कर दूं कि यह बातचीत इस फिल्म के रिलीज के समय हिंदी के वरिष्ठ फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज से हुई थी। एक समय तक एक चर्चित फ़िल्मी वेबसाईट के लिए उनसे बातचीत होती रही। कोरोना काल ने बहुत कुछ बदल कर रख दिया। ऐसे में वह पोर्टल बंद हो गया। इसलिए अपने पास रखे कुछ सुरक्षित लेख आप लोगों से साझा किए जा रहे हैं। पढ़ें वरिष्ठ फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज से हुई तेजस पूनियां की बातचीत-
सवाल – सबसे पहले यह बताएं कि भारतीय सिनेमा में 1993 में सरदार वल्लभभाई पटेल पर ‘सरदार’ नाम से बॉयोपिक आई लिहाजा आप बॉयोपिक फिल्मों का दौर कब से मानते हैं? तब से लेकर अब तक बॉयोपिक फिल्मों में आप क्या परिवर्तन देखते हैं।
अजय ब्रह्मात्मज – सरदार से पहले यूँ तो रिचर्ड एटनबरो की साल 1980 में गाँधी पर फिल्म आई थी, उसे भी बॉयोपिक फिल्म कहा जाना चाहिए। वहीं से बॉयोपिक फिल्मों की शुरुआत मान ली जानी चाहिए इसके अलावा जो बॉयोपिक फ़िल्में आईं वे सब भी अब तक सफल फ़िल्में ही रही हैं।
सवाल – संजू की बॉयोपिक का जो पोस्टर आया है और इससे पहले जो ट्रेलर आया उसे देखकर क्या लगता है कि रणवीर कपूर कितने फिट हो पायेंगे इसमें ?
अजय ब्रह्मात्मज – फिल्म अच्छी ही होगी ऐसी सम्भावना जताई जा रही है। इसके अलावा आज के समय में मेकअप करके किसी को भी संजय दत्त बनाया जा सकता है। यहाँ तक की आपको भी साथ ही उसका बाहरी ढाँचा भी दिखाया जा सकता है। लेकिन देखना यह दिलचस्प होगा कि वे संजय के जीवन की रूह को फिल्म में कितना पकड़ पाते हैं। इसके अलावा उनके चलने-फिरने का लाइफ स्टाइल आदि को कितनी ईमानदारी से प्रस्तुत कर पाते हैं।
सवाल – अब तक हमने जो उनके लाइफ स्टाइल को देखा, मीडिया में जो उनकी नेगेटिविटी देखी क्या वही सब फिल्म में भी होगा ?
अजय ब्रह्मात्मज – अब तक जो उन्होंने जिया वह उनका जीवन था, पर अब जो पर्दे पर दिखाया जाएगा उसमें वही सब पुन: दोहराया जाएगा। इसमें संजय दत्त की भूमिका भी अहम है कि कितनी ईमानदारी से उन्होंने अपने जीवन को राजकुमार हिरानी से शेयर किया है और कितनी ईमानदारी से राजकुमार हिरानी उसे पर्दे पर लेकर आते हैं।
सवाल – खबरें हैं कि संजय दत्त की बॉयोपिक में तथ्य होंगे, अफवाहें नहीं ? तब फिल्म किस तरह पूरी हो पाएगी ?
अजय ब्रह्मात्मज – हिरानी जी ईमानदारी से काम करने वाले व्यक्तित्व के आदमी हैं। उम्मीद है यहाँ भी उन्होंने ईमानदारी से काम किया होगा। ऐसा बिलकुल भी नहीं किया होगा कि उनकी ईमेज बिल्डिंग के लिए कोई चीज बनाई जाए। हिरानी के अंदर सिनेमाई मिट्टी के सभी गुण मौजूद हैं और उनकी फिल्मों के संदेश भी पोजिटिविटी/ सकारात्मकता लिए हुए होते हैं। बाकि यह तो अनुमान ही लगाया जा सकता है कि तथ्य होंगे अफवाहें नहीं। इसमें भी हथियार रखने जैसी सच्चाई को तो किसी से छुपाया नहीं जा सकता। लेकिन साथ ही उनके कामयाब इंसान होने की कहानी को एक बेहतर इंसान के माध्यम से देखना दिलचस्प होगा।
सवाल – फिल्म के अन्य सहयोगी अभिनेता/ अभिनेत्री जिनमें करिश्मा तन्ना माधुरी दीक्षित के रूप में, जिम सरभ सलमान खान के रूप में, शरमन जोशी चंकी पांडे के रूप में नजर आने वाले हैं इनकी भूमिका कितनी अहम होगी फिल्म में ?
अजय ब्रह्मात्मज – फिल्म की कहानी संजय दत्त पर आधारित है और केन्द्रीय भूमिका के रूप में तो रणवीर कपूर ही नजर आने वाले हैं तो संजू के रूप में रणवीर कपूर ही मुख्य किरदार है और जैसा की पहले भी कहा उन्हें ही देखना अहम होगा।
सवाल – एक पिता से पहले पुत्र की बॉयोपिक आना उस पर फिल्म बनना कहाँ तक जायज है! जबकि सुनील दत्त भी एक स्थापित कलाकार रहे हैं जिन्होंने मदर इंडिया, खानदान, आम्रपाली, खलनायक जैसी बेहतरीन फ़िल्में की हैं।अजय ब्रह्मात्मज – जायज नाजायज सिनेमा में कुछ नहीं होता। ऐसे तो पृथ्वीराज कपूर, दादा साहब फाल्के पर भी फिल्म अब तक बन जानी चाहिए थी। ये तो फिल्म निर्माता, निर्देशकों पर निर्भर करता है कि वे किसे कहानी बनाकर या किसे आधार बनाकर फिल्म प्रस्तुत कर रहे हैं। इसलिए सिनेमा में जायज नाजायज जैसा कुछ नहीं है।
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