वेब रिव्यू- ‘क्राइम हरियाणा’ ही क्राइम पैट्रोल है
‘क्राइम हरियाणा’ ही क्राइम पैट्रोल है। हरियाणवी स्टेज एप्प पर आज रिलीज हुई है वेब सीरीज। वेब सीरीज देखने से पहले पढ़िए गंगानगर वाला का यह रिव्यू
कई बार ज़िन्दगी के इम्तेहान उतनै भी आसान नहीं होते जितना हम उन्नै समझ लेवें। ज़िन्दगी के यही इम्तेहान इस सीरीज में भी कुछ लोग दे रहे हैं। क्या है वजह आखिर इसकी! हरियाणवी सिनेमा भले सिनेमाघरों में कम ही आ रहा हो किन्तु स्टेज ओटीटी अपने प्लेटफार्म से लगातार हरियाणवी कंटेंट लाकर हरियाणवी सिनेमा को बल दे रहा है। हरियाणा जितना धर्म-कर्म की भूमि रहा है उतना ही यहाँ क्राइम भी है।
आज के हालातों में जहाँ लड़कियां इस राज्य से निकल कर देश का दुनियाभर में नाम रोशन कर रही हैं वहीं यह सीरीज बताती है कि उन्हें घर से बाहर नहीं जाने देना चाहिए। गाहे-बगाहे हरियाणा को कहानी का आधार बनाकर बाबाओं के कुकर्मों की कहानियाँ बॉलीवुड भी हमें दे चुका है लिहाजा हरियाणा के ही मेकर्स इस पहलू से कैसे अछूते रहते?
हरियाणा में कोई ऊँगली काट गिरोह सक्रिय हो रहा है। एक पुलिस वाले की पहलवान बहन का मर्डर होने के बाद, बबली डांसर, एम. एल. ए का पूरा परिवार मारा गया। कौन है इन सबके पीछे और क्यों कर रहा है वो ऐसा? इधर दूसरी ओर अभी-अभी पहलवानी छोड़ नए पोस्टिंग पर आये सब इंस्पैक्टर की होशियारी से ये सब केस एक-एक कर सुलझते नजर आते हैं। कई सारे मर्डर केस को एक साथ पिरोकर कहानियाँ कहना सिनेकारों को, बॉलीवुड के लोगों को बखूबी आता है ठीक उसी तर्ज पर हरियाणवी भाषा में भी यही तरीका अपनाया गया है।
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इस सीरीज में सबकी अलग-अलग कहानियों को पुलिस के साथ जोड़ते हुए पटकथा के रूप में समेटते हुए लेखक, निर्देशक ने काफ़ी मेहनत की है, जो नजर भी आती है। स्टेज ओटीटी निर्मित इस तरह की कहानियाँ इन्हें और क्षेत्रीय सिनेमा बनाने के लिए बल प्रदान करेंगी। लेकिन वहीं दूसरी ओर इस सीरीज की एक बड़ी खामी यह भी है कि एक समय बाद यह क्राइम पैट्रोल के एपिसोड सरीखी लगने लगती है। जिसमें एक पुलिसवाला ही खबरी है उस ऊँगली काट मर्डरर का और एक के बाद एक जो मर्डर कर रहा है वह साथ ले जाता है काट कर सबूत के तौर पर उनकी ऊँगली।
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क्या होगा उस ऊँगली काट का? क्या पकड़ा जाएगा वह? या ऐसे ही मर्डर होते रहेंगे हरियाणा में? बलात्कार, मर्डर, प्रेम जैसे कई रंग इस सीरीज में नजर आते हैं। मुकेश मुसाफ़िर, राजू मान, रवीना बिश्नोई, नवीन ओनियल, मधु बाला, कुलदीप सिंह, विशाल कपूर, अमर कटारिया, संजीव लखनपाल, निकिता शर्मा, रंजीत चौहान, मीनाक्षी, सोनिया हुड्डा, मानसी शर्मा, दीपक त्रिखा, आदि अपने अभिनय से इस सीरीज को एक बार देखने लायक तो बना ही देते हैं।
अनिल गोयल निर्मित अमित झा निर्देशित इस सीरीज में कुछ एक नाम लिखने जैसी गलतियाँ भी नजर आती हैं। कैमरामैन, एडिटर, साउंड आदि का काम क्राइम बेस्ड सीरीज जैसा ही है और यह कुछ नया नहीं दे पाता। क्राइम को आधार बनाकर स्टेज एप्प पहले भी कई फ़िल्में और सीरीज हमें दे चुका है। लम्बे समय बाद एक ठीक तरह से मांजी गई कहानी को देखा जाना चाहिए। इस सीरीज को स्टेज एप्प के लिए भी देखा जाना चाहिए और इसे बनाने, लिखने वालों के लिहाज से भी।
अपनी रेटिंग…. 3.5 स्टार