वेब सीरीज रिव्यू

ओल्ड वेब रिव्यू – हल्के फुल्के किस्से वाली पंचायत 

 

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स्टार कास्ट: रघुवीर यादव, नीना गुप्ता, जितेंद्र कुमार, चंदन रॉय, फैसल मलिक आदि।
निर्देशक: दीपक कुमार मिश्रा
ओटीटी: अमेजन प्राइम वीडियो

शानदार एक्टिंग और ठीक ठाक निर्देशन वाली इस वेब सीरीज को देखने में आनन्द मिलता है। गुंडा गर्दी, मारपीट और एक्शन से अगर आप ऊब गए हैं तो आपको ‘पंचायत’ पसंद आ सकती है। यह रिव्यू इस सीरीज की रिलीज के समय किसी अन्य पोर्टल के लिए लिखा गया था। गंगानगर वाला अब अपने पुराने रिव्यू जो कहीं छपे थे लेकिन गूगल पर मौजूद नहीं है  उन्हें लेकर आ रहा है। नयी वेब सीरीज के रिव्यू के साथ-साथ- 

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के फुलेरा ग्राम पंचायत की कहानी वेब सीरीज में दर्शाई गई है। अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार) पंचायत ऑफिस में सचिव पद पर भर्ती हुए हैं। शहर का पढ़ा लिखा लड़का जिसका एमबीए करने का ख्वाब है, वह गांव की छुट पुट समस्याओं में फंस जाता है। और दूसरी ओर यह कहानी गांव की प्रधान, यानी मंजू देवी की कहानी कहती है। जिन्होंने पंचायत का चुनाव तो लड़ा लेकिन प्रधान वो नहीं उनके प्रधान पति ब्रृजभूषण दूबे (रघुबीर यादव) हैं। आधिकारिक तौर पर नहीं लेकिन गांव के लिए प्रधान ब्रृजभूषण ही हैं। वह ऑफिस से लेकर गांव के सभी कामों में हिस्सा लेते हैं। उनकी पत्नी मंजू देवी घर का चूल्हा चौका से लेकर तमाम घर के काम करती हैं लेकिन प्रधानगिरी से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। हमारे भारत में अधिकांश गांवों में आज भी हालात ऐसे ही हैं। भले ही महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित कर दी गई हों लेकिन हुकूमत उनके घर वाले ही चलाते हैं।  युवाओं के बड़े बड़े सपने,गांव की समस्याएं आदि छोटी छोटी समस्या इस वेब सीरीज में दिखाई गई है।

सीरीज यह भी सोचने को मजबूर करती है कि क्या महिला जनप्रतिनिधियों को समाज ने वाकई अपनाया है? 25-30 मिनट के छोटे-छोटे एपिसोड बेहद हल्के और सुकून भरे हैं। पंचायत के हर एपिसोड में एक सीख छुपी है। सीरीज का अहम पात्र अभिषेक त्रिपाठी है जिसके इर्द गिर्द पूरी सीरीज घूमती है।  सीरीज की पटकथा में कहीं-कहीं चूक भी नजर आती है। इस सीरीज में दरअसल अभिषेक त्रिपाठी को सिर्फ अपने ही काम में रूचि है, वह कहीं भी खुलकर नायक नहीं बनता दिखता, जबकि कुछ सीन में लगता है कि वह कुछ बड़ा करेगा और उसका कोई निर्णय होगा लेकिन ऐसा होता नहीं है।

‘पंचायत’ वेब सीरीज की तमाम खासियत में से एक ये है कि ये हमें निराश नहीं करती। शुरुआत में आपका मन शायद इसे देखने में न लगे लेकिन जैसे ही आप इसके दूसरे भाग पर पहुंचते हैं तो ये आपको लगातार देखने पर मजबूर करती है। हल्की फुल्की कहानी और साफ सुधरे दृश्य आपको बोर नहीं होने देते
अपनी रेटिंग – 3.5 स्टार

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