फिल्म रिव्यू

रिव्यू- उलझने सुलझाती ‘आयुष्मती गीता’

उलझने सुलझाती ‘आयुष्मती गीता’ कितनी उलझने सुलझा पाई हैं जानिये गंगानगर वाला की इस रिपोर्ट में…..

Featured In IMDb Critic Review 

एक लड़की गीता रूढ़िवादी समाज में पैदा हुई। एक ऐसा गांव जहां लड़कियां दो चार क्लास से ज्यादा नहीं पढ़ती। ऐसे में गीता की मां ने उसके पैदा होने के समय गीता के बाप से वचन लिया की उसकी शादी मैट्रिक पास होने के बाद ही करेंगे। फिर एक दिन उसकी मां चल बसी और इधर गीता के रिश्ते आने लगे तो उसके बाप को वचन याद आ गया। लेकिन जो रिश्ता आया उसे गीता से प्यार हो गया और गीता दसवीं फैल हो गई। अब क्या कभी वो दसवीं पास कर पाएगी? क्या गीता की शादी उसी लड़के से हो पाएगी? इस बीच समाज के तानों के बीच कैसे लड़ेगी गीता और उसका परिवार? यही सब इसकी कहानी है।

उलझने सुलझाती 'आयुष्मती गीता'
उलझने सुलझाती ‘आयुष्मती गीता’

लेकिन जरा इसके पीछे का सोचें तो साल 2024 में आज भी कोई देश का हिस्सा ऐसा बचा हुआ है जहां इतना रूढ़िवादी समाज कोई हो सकता है? वहीं दूसरी और यह फिल्म शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाती है। लगातार लीक हो रही परीक्षाएं, स्कूलों में बढ़ता बोझ, रूढ़िवादी समाज, स्त्री शिक्षा जैसे ढेरों मुद्दे इस फिल्म को देखने के लिए प्रेरित करते हैं।

उलझने सुलझाती 'आयुष्मती गीता'
उलझने सुलझाती ‘आयुष्मती गीता’

कशिका कपूर, अनुज सैन, अतुल श्रीवास्तव, अल्का अमीन, प्रणय दीक्षित, विनोद सूर्यवंशी, स्वप्निल राउत आदि का अभिनय भी उचित जमता है। लेखक नवनीतेश सिंह का पहली बार लिखा गया लेखन और निर्देशक प्रदीप खैरवार का मिलकर किया गया काम, रेखा भारद्वाज की आवाज सुकून देते हैं। मगर बैकग्राउंड स्कोर, कलरिंग, साउंड आदि जैसे कई विभाग इसके और रंदा मांगते हैं किन्तु वे इतनी सफाई से आपके सामने से निकल जाते हैं कि आपको जब इतनी प्यारी कहानी मिले तो आप उन पर ध्यान ही नहीं दे पाते  बावजूद इसके बेहद कम बजट में बनी यह फिल्म सिनेमाघरों में आकर कुछ कमाल कर पाएगी या  इसे लेकर संदेह भी होता है। अच्छी ओर प्यारी लगने वाली ऐसी कहानियां काल्पनिक भले ही हों किंतु वे कुछ तो उलझने सुलझाती ही हैं

अपनी रेटिंग …. 3.5 स्टार

Facebook Comments Box
Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!