फिर भी रहेंगीं निशानियाँ – नरगिस को याद करते हुए
3 मई 1981 में भारतीय सिनेमा ने एक बेहतरीन अदाकारा को हमेशा के लिए खो दिया और वे अदाकारा थीं नरगिस। जिनका बचपन का नाथा फातिमा रशीद था किन्तु सिनेमा ने इन्हें जो नाम दिया वह हमेशा के लिए सिनेमाई इतिहास में अमर हो गया। नरगिस ने बाल-कलाकार के रूप में 8 साल से भी कम उम्र में सिनेमा के रजत पर्दे पर अपना पदार्पण किया और यह फिल्म थी तलाश-ए-हक । उर्दू के महान लेखक सआदत हसन मंटो नर्गिस से हुई मुलाक़ात के संबंध में अपने लेख में लिखते हैं कि- नरगिस को मैंने एक मुद्दत बाद देखा था । दस-ग्यारह बरस की बच्ची थीं, जब मैंने एक-दो मर्तबा फिल्मों की नुमाइशें-उजम़ा में उसे अपनी माँ की ऊँगली के साथ लिपटी देखा था। चुंधियाई हुई आँखें, बेकशिश- सा लंबोतरा चेहरा, सुखी-सुखी टाँगें। ऐसा मालूम होता था, सो के उठी है या सोने वाली है। इस रिआयत से इसका नाम नरगिस मौजूं व मुनासिब है।
नरगिस को बतौर हिरोईन महबूब खान ने सबसे पहले तकदीर फिल्म के लिए कास्ट किया। डॉ० पिता और क्लासिक गायिका जद्दन बाई की संतान नरगिस ने बेहद कम उम्र में ही पारिवारिक जिम्मेदारियां निभानी शुरू कर दी थीं। रात और दिन, यादें, काला बाजार, परदेसी, चोरी-चोरी, श्री 420, आवारा और मदर इंडिया जैसी फिल्मों से अपनी ख़ास पहचान बनाने वाली नरगिस को मदर इंडिया फिल्म में राधा के निभाए गए उनके बेहतरीन अभिनय के लिए 1958 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरूस्कार से नवाजा गया और इसी साल इन्हें पद्म श्री भी मिला। मदर इंडिया फिल्म की ख़ास बात यह थी कि यह ऑस्कर के लिए नामित होने वाली पहली भारतीय फिल्म थी।
दो दशक के फ़िल्मी करियर से इन्होंने भारतीय सिनेमा में जो मुकाम हासिल किया उसने भारतीय नारी का एक नया और सशक्त रूप सामने लाकर खड़ा किया। दिलीप कुमार, राज कपूर के साथ इनकी सिनेमा जोड़ी खूब चर्चित रही। नरगिस की आँखे वाकई बहुत कुछ कहती थीं इन सूनी-सूनी आँखों के पीछे बहुत दर्द भी था। यह दर्द पारिवारिक जिम्मेदारियों का भी था और राज कपूर के साथ लंबे समय तक चलने वाले अफेयर को लेकर भी। इस अफेयर के बाद भी उनकी शादी सुनील दत्त से ही हुई। कहा जाता है कि नर्गिस की सुनील दत्त से शादी होने के बाद राज कपूर इस हद तक पहुंच गए थे कि उन्होंने खुद को सिगरेट से कई बार जलाया भी था। जबकि उस दौरान वे स्वयं भी शादी-शुदा थे।
लेखक टीज़ेएस जॉर्ज अपनी किताब ‘द लाइफ एंड टाइम ऑफ़ नर्गिस’ में लिखते हैं कि नर्गिस राजकपूर को उनके मोटे शरीर और नीली आखों के कारण पिंकी कहकर बुलाया करती थीं। दूसरी ओर लेखिका मधु जैन ‘द कपूर्स’ में लिखती हैं कि जब बरसात फिल्म बन रही थी तब पैसे की कमी पड़ने के कारण उन्होंने राज कपूर के लिए अपनी सोने की चूड़ियाँ तक बेच दी थीं।
मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान फिल्म के सेट पर आग लग गई थी जहाँ सुनील दत्त ने उन्हें बचाया और इस हादसे के बाद इन दोनों शादी कर ली । हालांकि एक साक्षात्कार में सुनील दत्त ने शादी के पीछे इस वाकये को सिरे से नकारा है । शादी के बाद नरगिस ने बेहद ही कम फ़िल्में की और फिल्मों की बजाए वे सामाजिक कार्यों में जुट गईं। नरगिस को राज्यसभा के लिए भी नामित किया गया।
भारतीय सिनेमा में झूमने लगेगा आसमां, पंछी बनूं उड़ती फिरूं मस्त गगन में, ये रात भीगी ये मस्त फिजाएं उठा धीरे धीरे वो चाँद प्यारा प्यारा, जहाँ मैं जाती हूँ वहीं चले आते हो, प्यार हुआ इकरार हुआ, इचक दाना बिचक दाना, राजा की आएगी बारात, दम भर जो इधर मुँह फेरे जैसे बेहतरीन गाने नरगिस पर ही फिल्माए गए हैं।
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